राज्यपाल दत्तात्रेय ने भगवत गीता को बताया जीने का मार्ग, बोले- कोरोनाकाल में आत्मविश्वास…

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चंडीगढ़: श्रीमद्भगवत गीता ने कोरोनाकाल में भी मनुष्य के जीवन में आत्मविश्वास और मनोबल बढ़ाकर सिद्ध कर दिया है कि गीता मात्र एक पुस्तक नहीं जीवन जीने का मार्ग है। यह विचार हरियाणा के राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय ने मंगलवार को यहां राजभवन में ‘‘जियो गीता‘‘ और गुरुग्राम विश्वविद्यालय के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित अंतर्राष्ट्रीय रिसर्च जर्नल के प्रथम अंक तथा कॉफी टेबल बुक के लोकार्पण कार्यक्रम में व्यक्त किए।

कार्यक्रम में राज्यपाल दत्तात्रेय द्वारा जियो गीता और गुरुग्राम विश्वविद्यालय द्वारा तैयार किया गया अंतर्राष्ट्रीय रिसर्च जर्नल के प्रथम अंक व कॉफी टेबल बुक का लोकार्पण किया गया है। उन्होंने कहा कि इतिहास इस बात का साक्षी है कि श्रीमद्भगवत गीता ने हर संकट की घड़ी में मानव का साथ दिया है। उन्होंने स्वयं का उदाहरण देते हुए कहा कि कोरोनाकाल के दौरान उन्हें प्रतिदिन गीता का पठन किया जिससे उनका मनोबल बढ़ा।

उन्होंने अपने संस्मरण याद करते हुए कहा कि 1976 में जब वो जेल में थे तब भी गीता उनका विश्वास बरकरार रखने के लिए कारगर सिद्ध हुई। दत्तात्रेय ने श्रीमद्भगवत गीता का महत्व बताते हुए कहा कि भगवान श्रीकृष्ण ने ज्ञान-सागर को 18 अध्यायों तथा 700 श्लोकों की गीता रूपी गागर में भरकर मानव जाति के कल्याण का मार्ग दिखाया है। इसके 700 श्लोक जीवन के 700 सूत्र प्रतिपादित करते हैं। उन्होंने आमजन से अपील की कि हमें गीता ज्ञान से प्रेरित होकर स्वयं की, समाज की और अपने राष्ट्र की उन्नति के लिए अपनी ‘कर्म संस्कृति‘ को अपनाना होगा।

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कुरुक्षेत्र भारतीय संस्कृति का सबसे बड़ा पवित्र स्थल होने के साथ-साथ इस स्थली को आध्यात्मिक पर्यटन स्थल के रूप में और अधिक विकसित किया जाएगा। इससे श्रीमद्भगवत गीता का संदेश भी जन-जन तक पहुंचेगा और विश्वभर के लोग कुरुक्षेत्र से जुड़ पाएंगे।