राज्यपाल-मुख्यमंत्री ने किया राष्ट्रीय पोषण माह का शुभारंभ, यूपी को ‘सुपोषित’ बनाने का किया आह्वान

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लखनऊः मां कुपोषित है तो बच्चा कभी सुपोषित नहीं हो सकता। मां के साथ बच्चों पर भी ध्यान देना होगा। इस अभियान को जनआंदोलन बनाना होगा। जन-जन को इसमें लगना होगा। कोई भी देश या राष्ट्र तब तक समृद्ध और मजबूत नहीं बन सकता है जब तक राष्ट्र की आधारशिला मजबूत नहीं होगी। यह बात मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने मंगलवार को लोकभवन में चौथे राष्ट्रीय पोषण माह-2021 के शुभारंभ अवसर पर कही। मुख्य अतिथि के रूप में मौजूद राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने भी कुपोषण मुक्त यूपी बनाने के लिए अभियान में विभाग के अधिकारियों के साथ जनता से जुड़ने की अपील की।

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि सरकार ने कुपोषित बच्चों के सुनहरे भविष्य के सपनों को साकार करने के लिए पोषण माह की शुरुआत की है। उन्होंने कहा कि समाज के अंतिम पायदान तक मां स्वस्थ हो और बच्चा स्वस्थ हो, इसपर बल देना होगा। राज्य मंत्री स्वाति सिंह के स्वागत भाषण के साथ शुरू हुए कार्यक्रम में राज्यपाल और मुख्यमंत्री ने गोद भराई कार्ड ‘शगुन’ का विमोचन किया। पांच गर्भवती महिलाओं को मंच पर यह कार्ड भेंट कर इस रस्म को निभाकर अभियान का शुभारम्भ किया। चुनरी पहनाई और पोषण के लिए उपयोगी वस्तुओं की टोकरी भेंट की। इस अवसर पर पोषण माह पर बनाई गई फिल्म प्रदर्शित की गई। छोटे-छोटे बच्चों को उपहार भेंट किये गये। कार्यक्रम के दौरान मस्केट ‘आंचल’ का शुभारम्भ किया गया। कार्यक्रम के दौरान 24 जिलों में बने 529 नवनिर्मित आंगनबाड़ी केंद्रों का उद्घाटन करने के साथ ही उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाली आंगनबाड़ी कार्यकत्रियों और आशा बहुओं को पुरस्कृत भी किया गया। मुख्यमंत्री और राज्यपाल ने नवनियुक्त 90 बाल विकास परियोजना अधिकारियों में 10 को मंच पर उनके नियुक्ति पत्र भी भेंट किये। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि इस अभियान से हर भारतवासी को जुड़ना चाहिये। यह पूरे राष्ट्र के लिए एक चैलेंज है।

उन्होंने कहा कि तीन सालों में बाल विकास एवं पुष्टाहार विभाग की योजनाओं के अच्छे परिणाम सामने आए हैं। इसलिए हमने चार श्रेणियों में पोषण माह को विभाजित किया है। इसमें पहले सप्ताह में पोषण वाटिका पर पौधाकरण, दूसरे सप्ताह में आंगनबाड़ी लाभार्थियों को पोषण किट वितरण, तीसरे सप्ताह में योग और आयुष और चौथे सप्ताह में बच्चों की पहचान, उनके लिए सामुदायिक रसोई का निर्माण का विशेष अभियान प्रदेश में चलाया जाएगा। उन्होंने कहा कि हम सबको जोड़कर इस अभियान को सफल बना सकते हैं। यह समाज और राष्ट्र से जुड़ा हुआ अभियान है। उन्होंने कहा कि आज 529 आंगनबाड़ी केन्द्रों का उदघाटन हुआ है। पहले जहां किराए के भवनों में आंगनबाड़ी केन्द्र चलते थे लेकिन सरकार के प्रयासों से अब ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में प्राथमिकता पर आंगनबाड़ी केन्द्रों को शामिल किया गया है। मिशन मोड पर शुरु हुए अभियान में और भी आंगनबाड़ी केन्द्र जल्द प्रदेश में शुरू होंगे। उन्होंने कहा कि 2020 में हमने आंगनबाड़ी को बेसिक शिक्षा के विद्यालयों से जोड़कर प्री-प्राइमरी के रूप में स्थापित करने की कार्ययोजना बनाई थी जो कोरोना के कारण मूर्तरूप नहीं ले पाई है।

उन्होंने कहा कि जल्द इसको भी शुरू कराया जाएगा। जहां तीन से पांच आयु वर्ग के बच्चे पोषण के साथ शिक्षा भी प्राप्त कर सकेंगे। उन्होंने नवनियुक्त 90 बाल विकास परियोजना अधिकारियों से कहा कि बच्चे ईश्वरीय कृति हैं। राष्ट्र की आधारशिला को मजबूत करने के काम में लग जाएं। इस अवसर पर मुख्यमंत्री कोरोना के घटते मामलों के साथ ही मिशन शक्ति में महिलाओं के लिए योजनाओं पर प्रकाश डाला। निगरानी समितियों के कार्यों की सराहना की। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि प्रदेश में छह लाख गोवंश हैं। इनमें बहुत सी गाय दूध देने वाली हैं। 50 ग्राम दूध सुबह और 50 ग्राम दूध शाम को मिल जाए तो कृपोषित मां और बच्चों के लिए अमृत हो सकता है। उन्होंने कहा कि ऐसी निराश्रित गौ-आश्रय स्थलों से 25 हजार कुपोषित मां को गाय उपलबध कराई है। गाय के पालन पोषण के लिए हर माह उस परिवार को 900 रुपये भी दिये जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि ग्राम पंचायत में भूमि के छोटे-छोटे पट्टे देकर और गाय देने की योजना जो पहले संचालित है उसको बढ़ाकर अच्छे परिणाम सामने आ सकते हैं।

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राष्ट्रीय पोषण माह के शुभारंभ पर राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने प्रदेश में बाल विकास एवं पुष्टाहार विभाग की कुपोषण को समाप्त करने की योजनाओं से जनता को जुड़ने की अपील की। उन्होंने सुझाव दिया कि गांव में आंगनबाड़ी कार्यकत्रियां एक-एक कुपोषित बच्चे को गोद ले सकती हैं। यही काम अधिकारी भी कर सकते हैं। इससे बड़ा परिवर्तन आएगा। उन्होंने कहा कि अभियान में मुख्यमंत्री के साथ अधिकारियों को भी जुटना होगा। उन्होंने अधिकारियों से सरकार के साथ मिलकर पूरी ताकत से काम करने और प्रत्येक गांव को कोरोना से मुक्त, कुपोषण से मुक्त बनाने का संकल्प लेने को कहा। उन्होंने अपने फर्रूखाबाद दौरे का भी जिक्र किया। गोशालाओं से जुड़ी महिलाओं और उससे जन-जन को मिल रहे लाभ की भी जानकारी दी। उन्होंने इस पवित्र काम में कुपोषित बच्चों को जोड़ने की बात कही। उन्होंने कहा कि नए ग्राम प्रधानों को इस बात के लिए प्रेरित करने की जरूरत है कि वो अपने गांव को कुपोषण मुक्त, कोरोना मुक्त बनाएं। उन्होंने कहा कि अधिकारी जब तक जिलों और ब्लाकों में प्रवास नहीं करेंगे। वहां की आंगनबाड़ी में औचक निरीक्षण नहीं करेंगे तब तक परिणाम सामने नहीं आएगा।

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