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जलवायु परिवर्तन, कुपोषण दूर करने को सरकार की पहल, पीएम ने राष्ट्र को समर्पित की विशेष गुणों वाली 35 फसलें

नई दिल्लीः प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने मंगलवार को जलवायु परिवर्तन और कुपोषण को दूर करने के लिए विशेष गुणों वाली 35 फसलों की किस्में राष्ट्र को समर्पित की। भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) द्वारा विशेष लक्षणों वाली फसल की किस्मों को विकसित किया गया है। प्रधानमंत्री ने इस मौके पर वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से प्रधानमंत्री राष्ट्रीय जैविक तनाव प्रबंधन संस्थान रायपुर का नवनिर्मित परिसर भी राष्ट्र को समर्पित किया। कार्यक्रम में प्रधानमंत्री ने कृषि क्षेत्र में नवीन तरीकों का उपयोग करने वाले किसानों के साथ बातचीत की। इस मौके पर केंद्रीय कृषि मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर ने कहा कि प्रधानमंत्री गरीबों के प्रति संवेदनशील हैं। वह छोटे किसानों के भी प्रधानसेवक हैं।

उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री के नेतृत्व वाली सरकार में छोटे-छोटे व्यक्ति के जीवन को बदलने की योजना बनाई जाती है। उन्होंने कहा कि 24 घंटे बिजली देने वाला गुजरात देश का पहला राज्य बना है। छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा कि सरकार केंद्र के साथ सहयोग करेगी। जलवायु परिवर्तन और कुपोषण की दोहरी चुनौतियों को हल करने के लिए भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) द्वारा विशेष लक्षणों वाली फसल की किस्मों को विकसित किया गया है। जलवायु को लेकर लचीलापन और ऊंची पोषक तत्व सामग्री जैसे विशेष गुणों वाली 35 ऐसी फसलों की किस्मों को साल 2021 में विकसित किया गया है। इनमें सूखे को बर्दाश्त करने वाली चने की किस्म, विल्ट और स्टरिलिटी मौजेक प्रतिरोधी अरहर, सोयाबीन की जल्दी पकने वाली किस्म, चावल की रोग प्रतिरोधी किस्में और गेहूं, बाजरा, मक्का, चना, क्विनोआ, कुटु, विन्गड बीन और फाबा बीन की बायोफोर्डिफाइड किस्में शामिल हैं।

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इन विशेष लक्षणों वाली फसल की किस्मों में वे भी शामिल हैं जो कुछ फसलों में पाए जाने वाले ऐसे पोषण-विरोधी कारकों को हल करती हैं जो मानव और पशु स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव डालते हैं। ऐसी किस्मों के उदाहरणों में पूसा डबल जीरो मस्टर्ड 33, पहला कैनोला क्वालिटी हाइब्रिड आरसीएच 1 जिसमें <2% इरुसिक एसिड और <30 पीपीएम ग्लूकोसाइनोलेट्स और एक सोयाबीन की किस्म शामिल है जो दो पोषण-विरोधी कारकों से मुक्त है जिन्हें कुनिट्ज ट्रिप्सिन इनहिबिटर और लिपोक्सीजनेस कहते हैं। सोयाबीन, ज्वार, और बेबी कॉर्न सहित अन्य में विशेष गुणों वाली किस्में विकसित की गई हैं। रायपुर में राष्ट्रीय जैविक तनाव प्रबंधन संस्थान की स्थापना जैविक तनाव में बुनियादी और रणनीतिक अनुसंधान करने, मानव संसाधन विकसित करने और नीतिगत सहायता प्रदान करने के लिए की गई है। इस संस्थान ने शैक्षणिक सत्र 2020-21 से पीजी कोर्स शुरू कर दिए हैं।

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