नई दिल्ली: सड़क सुरक्षा बढ़ाने और उपभोक्ताओं को घटिया हेलमेट (Helmet) से बचाने के लिए केंद्र सरकार ने सख्त कदम उठाए हैं। उपभोक्ता मामले विभाग ने देशभर के जिला अधिकारियों को पत्र लिखकर सड़क सुरक्षा बढ़ाने और उपभोक्ताओं को घटिया हेलमेट से बचाने के लिए राष्ट्रव्यापी अभियान शुरू करने को कहा है।
राष्ट्रव्यापी अभियान शुरू करने के निर्देश
सरकार ने दोपहिया वाहन सवारों की सुरक्षा के लिए हेलमेट पहनना अनिवार्य कर दिया है, लेकिन देखने में आ रहा है कि बाजार में गैर-मानक हेलमेट बिक रहे हैं। दरअसल, ऐसे हेलमेट सुरक्षा मानकों पर खरे नहीं उतरते। इसके कारण देश में हर साल लाखों लोग सड़क हादसों में अपनी जान गंवाते हैं। इनमें दोपहिया वाहन चालकों की संख्या सबसे ज्यादा है।
उपभोक्ता, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण मामलों के मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि विभाग ने जिला कलेक्टरों और जिला मजिस्ट्रेटों को पत्र लिखकर दोपहिया वाहन सवारों के लिए गैर-मानक हेलमेट बेचने वाले निर्माताओं और विक्रेताओं को निशाना बनाने के लिए राष्ट्रव्यापी अभियान शुरू करने को कहा है। बाजार में उपलब्ध हेलमेट की गुणवत्ता और सड़क पर जीवन की सुरक्षा में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका को लेकर बढ़ती चिंताओं के जवाब में यह पहल की गई है।
तत्काल कदम उठाने की कही बात
उपभोक्ता मामले विभाग ने जिलाधिकारियों को पत्र लिखकर कहा है कि इस अभियान के तहत दोपहिया वाहन सवारों के लिए गैर-मानक हेलमेट बेचने वाले निर्माताओं और खुदरा विक्रेताओं के खिलाफ कार्रवाई करने को कहा गया है। पत्र में उल्लेख किया गया है कि गैर-मानक हेलमेट जिनके पास भारतीय मानक ब्यूरो का प्रमाणन नहीं है, वे भी सड़क किनारे बेचे जा रहे हैं। यह सार्वजनिक सुरक्षा के लिए एक गंभीर खतरा है और सड़क दुर्घटनाओं में कई मौतों का कारण बनता है। ऐसे में इस मुद्दे से निपटने के लिए तत्काल कदम उठाना जरूरी है।
लोगों को जागरूक करना जरूरी
सरकार ने भारतीय मानक ब्यूरो से लाइसेंस प्राप्त किए बिना या नकली आईएसआई मार्क का उपयोग करके काम करने वाले निर्माताओं के साथ-साथ उपभोक्ताओं को गैर-मानक उत्पाद बेचने वाले खुदरा विक्रेताओं के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने का निर्देश दिया है। उपभोक्ता मामले सचिव निधि खरे ने जिलाधिकारियों को लिखे पत्र में कहा है कि आम लोगों के बीच हेलमेट के बारे में व्यापक जागरूकता फैलाना जरूरी है। हेलमेट जान बचाते हैं लेकिन तभी जब वे अच्छी गुणवत्ता के हों। गैर-मानक हेलमेट को बाजार से हटाने और उपभोक्ताओं को बीआईएस-प्रमाणित उत्पादों के महत्व के बारे में शिक्षित करने के लिए यह अभियान जरूरी है।
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उपभोक्ता मामलों की सचिव निधि खरे ने कहा कि हम सभी हितधारकों से हमारे नागरिकों की सुरक्षा के लिए इस अभियान में सक्रिय रूप से भाग लेने का आग्रह करते हैं। खरे ने बताया कि अब तक हेलमेट निर्माताओं के 162 लाइसेंस रद्द या समाप्त हो चुके हैं। इसके अलावा 4151: 2015 के संबंध में बीआईएस मानक चिह्न के दुरुपयोग या क्यूसीओ के उल्लंघन पर कुल 27 तलाशी और जब्ती की गई है और विभिन्न अदालतों में मामले दर्ज किए गए हैं। गौरतलब है कि केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय ने 1 जून 2021 को देश में गुणवत्ता नियंत्रण आदेश लागू किया है। इसमें यह अनिवार्य किया गया था कि सभी हेलमेट निर्माता और विक्रेता बीआईएस मानक आईएस 4151: 2015 का अनुपालन करना अनिवार्य है।
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