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सरकार किसान कल्याण की हमारी नीति को कमजोरी न समझे, बोले भारतीय किसान संघ

Farmer Protest: भारतीय किसान संघ की अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा के दूसरे दिन शनिवार को चौथे सत्र में अनाज की विपणन व्यवस्था और किसान आंदोलन में राजनीतिक चुनावी दांव-पेचों पर प्रस्तुत प्रस्तावों को चर्चा के बाद पारित कर दिया गया। किसान आंदोलन के प्रस्ताव पर चर्चा में देशभर से आए किसान प्रतिनिधियों ने अपने विचार व्यक्त किए। किसानों ने कहा कि हमारे संगठन की नीति है कि किसानों का हित राष्ट्रहित के दायरे में है। इसलिए हम हिंसक आंदोलनों का समर्थन नहीं करते। लेकिन किसानों ने चेतावनी दी है कि सरकारें अनुशासन, राष्ट्रहित और संवाद की हमारी प्राथमिकता को कमजोरी न समझें।

भारतीय किसान संघ की ओर से पेश प्रस्ताव में महासचिव मोहिनी मोहन मिश्रा ने देशभर के किसानों की राय रखते हुए कहा कि जब देश के किसान संगठन अनुशासित और शांतिपूर्ण तरीके से दिल्ली आकर अपनी समस्याएं रखेंगे और किसानों की मांगें। सरकार उनसे बात करना उचित नहीं समझती। सरकार का रवैया कुछ हद तक अफसोसजनक है। जिससे हिंसक आंदोलन को बढ़ावा मिलने की आशंका बढ़ जाती है। मिश्रा ने कहा कि किसानों के नाम पर राजनीतिक चुनावी पैंतरेबाजी से किसानों को ही नुकसान हो रहा है।

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जिसमें किसान पीड़ित होने के साथ-साथ मर भी रहा है। ये दुख की बात है। आज देश में हिंसक आंदोलन के माध्यम से किसान आंदोलन के प्रति समाज में नकारात्मक भावना पैदा की जा रही है। प्रतिनिधि सभा में पेश प्रस्ताव के जरिए किसान संघ ने मांग की कि हिंसक आंदोलन को बढ़ावा, समर्थन और मदद न दी जाए। सरकार, प्रशासन और समाज को भी हिंसक तरीकों के प्रति जीरो टॉलरेंस की नीति अपनानी चाहिए।

किसान संघ ने किसानों की बेहतरी के लिए रखे सुझाव

प्रतिनिधि सभा में किसानों की समस्याओं के समाधान के लिए सुझाव प्रस्तुत करते हुए महासचिव मिश्र ने कहा कि किसानों को लागत के आधार पर लाभकारी मूल्य मिलना चाहिए। कृषि आदानों पर जीएसटी समाप्त किया जाए। किसान सम्मान निधि में पर्याप्त बढ़ोतरी की जाए। जहर नहीं बल्कि जैविक को प्राथमिकता देकर जीएम बीजों को अनुमति नहीं दी जानी चाहिए। बीज किसानों का अधिकार है, सरकारों को मंडियों और मंडियों में किसानों का शोषण रोकने की व्यवस्था करनी चाहिए।

अनाज विपणन के लिए व्यापक नीति बनाई जाए

प्रतिनिधि सभा में श्री अन्ना के संबंध में प्रस्ताव में कहा गया कि विश्व को स्वस्थ भोजन उपलब्ध कराने की दिशा में भारत की दिशा भविष्य में वरदान साबित होगी। भारत सरकार भी श्री अन्न को बढ़ावा देने के लिए अच्छा काम कर रही है। देश के सुरक्षा सैन्य संस्थानों में कार्यरत सैन्यकर्मियों को पौष्टिक भोजन उपलब्ध कराने की मंशा से सरकार ने भोजन में पच्चीस प्रतिशत का योगदान दिया है। यह एक स्वागत योग्य कदम है। प्रस्ताव के माध्यम से किसान संघ ने सुझाव दिया कि श्री अन्ना के पारंपरिक बीजों के साथ कोई छेड़छाड़ नहीं की जानी चाहिए और इसका पर्याप्त उत्पादन और उचित मूल्य पर उपलब्धता सुनिश्चित की जानी चाहिए। प्रस्ताव में किसान संघ ने अनाज के विपणन के लिए एक व्यापक नीति की भी मांग की।

देश भर के किसानों ने सदस्यता मंडल आयोजित किये

भारतीय किसान संघ का सदस्यता अभियान देशभर में चल रहा है, देशभर में एक लाख ग्राम समितियां बनाकर एक करोड़ सदस्य बनाने का लक्ष्य रखा गया है। देशभर से आए प्रांतीय महामंत्रियों ने प्रतिनिधि सभा में अपने प्रांत की सदस्यता मंडल एवं कार्ययोजना प्रस्तुत की।

भारतीय किसान संघ की प्रतिनिधि सभा में देश भर के पैंतीस से अधिक प्रांतों के प्रदेश स्तरीय पदाधिकारियों के साथ किसान संघ के अखिल भारतीय अध्यक्ष बद्री नारायण चौधरी, कार्यकारी अध्यक्ष एवं उपाध्यक्ष राम भरोसे वासोतिया, महासचिव मोहिनी मोहन मिश्रा, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अखिल भारतीय अध्यक्ष मौजूद रहे। भारतीय संपर्क प्रमुख रामलाल जी, संगठन मंत्री दिनेश कुलकर्णी, उपाध्यक्ष भैयाराम मोर्या, पेरुमल जी, मंत्री बीना सतीश, बाबूभाई पटेल, प्रचार प्रमुख राघवेंद्र सिंह पटेल आदि की उपस्थिति उल्लेखनीय रही।

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