गोंडा क्रांति उपवन मामलाः अग्रिम आदेश पर टिकीं सबकी निगाहें

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लखनऊः गोंडा-लखनऊ हाईवे मार्ग मंडेनाला पुल पर निर्माणाधीन क्रांति उपवन पार्क मामले में 14 फरवरी को लखनऊ की हाईकोर्ट बेंच में सुनवाई सुनिश्चित हुई थी, गोंडा से सदर विधायक प्रतीक भूषण शरण सिंह का ड्रीम प्रोजेक्ट है ये क्रांति उपवन पार्क जिसके निर्माण कार्य को लेकर वे काफी उत्साहित नजर आते हैं, लेकिन शहर में उठ रही इस क्रांति उपवन के खिलाफ आवाज कहीं न कहीं प्रश्न खड़े करती है बीते दिनों में क्रांति उपवन गोंडा में ट्रेंड कर रहा था कारण यह था की इस उपवन के निर्माण को लेकर लगातार धानेपुर निवासी सुनील त्रिपाठी द्वारा विरोध किया जा रहा था और इसे मानक विहीन बताकर निर्माण कार्य को रोकने की बात कही गई थी।

पहले ये मामला जिलाधिकारी के पास पहुंचा लेकिन बाद में इस मामले को लेकर सुनील त्रिपाठी ने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया और इस लगभग 35 फिट ऊंचे प्रांतीय स्तंभ के विरुद्ध अधिवक्ता सुरेंद्र मिश्रा सूर्य के माध्यम से एक रिट याचिका इलाहाबाद हाइकोर्ट की लखनऊ खंडपीठ में दायर कर दिया जिस पर सुनवाई करते हुए न्यायालय ने संबंधित विभाग और जिलाधिकारी गोंडा से जवाब मांगते हुए सुनवाई के लिए 14 फरवरी की तारीख नियत की थी अब सभी की निगाहे न्यायालय के अग्रिम आदेश पर टिकी है, लेकिन बताते चले की फिलहाल क्रांति उपवन का निर्माण अपने जोरो से प्रगति पर है |

क्या कहा याचिकाकर्ता ने ?

सुनील त्रिपाठी ने कहा की मंडेनाला के ऊपर बनने वाला पार्क यात्रियों के लिए एक खतरा है इससे आने वाले समय में दुर्घटनाएं होंगी यातायात प्रभावित होंगे और जनता को जाम का सामना करना पड़ेगा इस पार्क के निर्माण के पीछे नजूल की जमीनों पर कब्जा करने का मकसद भी है और सांसद बृजभूषण शरण सिंह के कॉलेज को हाईवे से जोड़ने की मंशा है |

अधिवक्ता सुरेंद्र मिश्रा ने क्या कहा ?

मंडेनाला पुल पर हो रहा निर्माण ट्रैफिक रूल था भारतीय राजमार्ग नियंत्रण अधिनियम तथा भूमि और यातायात नियंत्रण अधिनियम के प्रावधानों के विरुद्ध है फिलहाल मामला न्यायालय में विचाराधीन है जनहित की लड़ाई हम जारी रखेंगे।

एक नजर इधर भी

विगत दिनों सुनील त्रिपाठी और कैसरगंज सांसद प्रतिनिधि का एक ऑडियो वायरल हो रहा था जिसमे सांसद प्रतिनिधि द्वारा क्रांति उपवन के पास ब्रेकर निर्माण करने को कहा गया था, ब्रेकर का निर्माण मानक विहीन हुआ जिसका दंश जनता को भुगतना पड़ा लगातार 50 से ज्यादा दुर्घटनाएं हुई और उसी के पास हुई दुर्घटना में सुमित श्रीवास्तव की मृत्यु हो गई, जिसके बाद जनता सड़कों पर उतरी और सड़क को जाम कर दिया जिसके बाद तत्काल जिलाधिकारी मार्कण्डेय शाही द्वारा ब्रेकर को तुड़वाया गया था। जिसके बाद से इस क्रांति उपवन के निर्माण को लेकर माहौल और गर्म हो गया था।

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