Godhra Riots: उम्रकैद की सजा काट रहे 8 दोषियों को सुप्रीम कोर्ट ने दी जमानत

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नई दिल्लीः गुजरात के गोधरा (Godhra Riots) में साबरमती एक्सप्रेस ट्रेन अग्निकांड में उम्रकैद की सजा काट रहे आठ दोषियों को सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत मिली है। सुप्रीम कोर्ट ने आठ दोषियों को शुक्रवार को जमानत दे दी है। हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने उन दोषियों को जमानत देने से इनकार कर दिया है जिनको निचली अदालत ने फांसी की सजा सुनाई थी, लेकिन बाद में हाई कोर्ट ने उसे उम्रकैद में बदल दिया था। चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस पीएस नरसिम्हा की पीठ की ने अपना फैसला सुनाते हुए कहा कि जमानत की शर्ते निचली अदालत तय करेगी।

बता दें कि 27 फरवरी, 2002 को गोधरा स्टेशन (Godhra Riots) पर साबरमती एक्सप्रेस ट्रेन के एक डिब्बे में आग लगा दी गई थी। इस अग्निकांड में 59 यात्रियों की जलकर मौत हो गई थी। मरने वालों में ज्यादातर कारसेवक थे जो कि अयोध्या से लौट रहे थे। जिसके बाद इन सभी को ट्रायल कोर्ट और हाई कोर्ट से उम्र कैद की सजा मिली थी। कोर्ट ने गुरुवार को इन्हें 17-18 साल जेल में बिताने के आधार पर जमानत दी है। हालांकि कोर्ट ने निचली अदालत से फांसी की सजा पाने वाले 4 दोषियों को जमानत देने से इंकार कर दिया है।

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इन लोगों ने ट्रेन की बोगी में लगाई थी आग

गुजरात सरकार की ओर से पेश सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता ने 20 फरवरी को सुनवाई के दौरान अपराध को जघन्य बताते हुए जमानत दिए जाने की मांग का विरोध किया था। सुप्रीम कोर्ट ने निर्देश दिया था कि दोषियों के नाम, अपराध में उनकी भूमिका और जेल में बिताए गए समय को अदालत में दायर किया जाए। 30 जनवरी को सुनवाई के दौरान दोषियों की ओर से कहा गया था कि उनका कसूर सिर्फ इतना है कि उन्होंने सिर्फ पथराव किया, लेकिन वे उम्रकैद की सजा काट रहे हैं। इस पर तुषार मेहता ने कहा था कि पथराव ही नहीं, इन लोगों ने ट्रेन की बोगी में आग भी लगाई थी।

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पिछली सुनवाई के दौरान, मेहता ने अदालत को आश्वासन दिया था कि वह यह देखने के लिए प्रत्येक दोषियों की भूमिका की जांच करेंगे कि क्या उनमें से कुछ वास्तव में जमानत पर रिहा हो सकते हैं। कोर्ट ने 15 दिसंबर 2022 को इस मामले में दोषी फारूक को 17 साल से जेल में रहने के आधार पर जमानत दे दी थी।

इस अग्निकांड में 63 आरोपियों को कोर्ट ने किया था बरी 

दरअसल 27 फरवरी 2002 को गोधरा रेलवे स्टेशन पर साबरमती एक्सप्रेस की एस-6 बोगी में आग लगाई गई थी, जिसमें 58 लोगों की मौत हो गई थी। साबरमती एक्सप्रेस से यह कारसेवक अयोध्या से लौट रहे थे। की इस घटना के बाद गुजरात में सांप्रदायिक दंगे हुए थे। इस मामले में ट्रायल कोर्ट ने 2011 में 31 लोगों को दोषी करार दिया था।

इनमें से 11 को मौत की सजा और 20 को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई थी। इस अग्निकांड में 63 अन्य आरोपियों को बरी कर दिया गया था। गुजरात हाई कोर्ट ने 2017 में ट्रायल कोर्ट से फांसी की सजा मिले 11 दोषियों की सजा कम करते हुए उसे उम्रकैद में तब्दील कर दिया था और 20 को मिली उम्रकैद की सजा बरकरार रखी थी।

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