लखनऊः हर किसी के घर में पूजा-पाठ के लिए एक अलग से कमरा या स्थान होता है, जहां पर भगवान की मूर्तियां स्थापित की जाती हैं। मगर जब ये मूर्तियां खंडित हो जाती हैं या टूट जाती हैं, तो लोग इन्हें गंगा जी या किसी और नदी में विसर्जित कर देते हैं। पर क्या कभी आपने सोचा है कि अगर इन मूर्तियों के खंडित होने के बाद इनका फिर से किसी और रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है ? शायद आपने भी इस बारे में कभी नहीं सोचा होगा कि इन मूर्ति का इस्तेमाल फिर से किसी नए रूप में किया जा सकता है।
मगर ये ख्याल आया तृप्ति गायकवाड़ को। नासिक की रहने वाली तृप्ति अपने प्रोजेक्ट ‘संपूर्णम’ के तहत बीते दो सालों से भगवान की खंडित हो चुकी मूर्तियों और खराब हो चुकी तस्वीरों को इकट्ठा कर उन्हें एक नया रूप दे रही हैं। तृप्ति भगवान की टूटी हुई मूर्तियों को रिसाइकल करने का काम करती हैं। वो इन मूर्तियों को रिसाइकल करके उनके खिलौने भी बनाती हैं। वो एक वकील होने के साथ ही पेशेवर इन्वेस्टिगेशन ऑफिसर भी हैं। गौरतलब है कि इन मूर्तियों को रिसाइकल करने से पहले इनकी उत्तर पूजा की जाती है और फिर उन्हें रिसाइकल करने के लिए आगे भेजा जाता है। तृप्ति का मानना है कि भगवान की टूटी मूर्तियों को लेकर लोगों के बीच असमंजस की स्थिति भी पैदा हो जाती है कि इनका क्या करना हैए ऐसे में संस्था उनकी मदद करती है।
2019 में की शुरूआत
2019 में तृप्ति ने इस प्रोजेक्ट की शुरुआत की थी। शुरुआत में तृप्ति के कुछ दोस्त उनकी मदद कर रहे थेए इसके बाद इस प्रोजेक्ट के साथ जुड़ने वाले लोगों की संख्या लगातार बढ़ने लगी। तृप्ति के अनुसार लोग अभी फिलहाल कलेक्शन में मदद कर रहे हैं, जबकि उत्तर पूजा और रिसाइकल का कमा वह खुद ही देख रही हैं। तृप्ति का मानना है कि घर की खंडित मूर्ति को अगर हम पेड़ के नीचे या मंदिर के बाहर रखकर आ जाते हैं या नदी में बहा देते हैं, तब भी हमें यह मालूम नहीं होता है कि इसके बाद उन मूर्तियों का क्या होना है। हम कई बार देखते भी हैं कि किस तरह मूर्तियों को गंदगी के साथ रख दिया जाता है। हम अपने भगवनों की मूर्तियों का अपमान ना करें, इस उद्देश्य से ही हमने यह प्रोजेक्ट शुरू किया है। उनका मानना है कि जो आधुनिकता हम भगवान की मूर्ति बनाने में लेकर आए हैं, वही आधुनिकता हमें भगवान की खंडित हो चुकी मूर्तियों को डिजॉल्व करने में लानी है। ‘संपूर्णम’ इसी दिशा में आगे बढ़ रहा है।
बनाए जाते खिलौने
इन खंडित हो चुकी मूर्तियों से मशीन के जरिये प्लास्टर ऑफ पेरिस को अलग कर लिया जाता है और फिर उसका इस्तेमाल छोटे-छोटे खिलौने बनाने में किया जाता है। ये खिलौने बाद में आदिवासी व गरीब समुदाय के बच्चों को खेलने के लिए दे दिये जाते हैं। इसी प्लास्टर ऑफ पेरिस के साथ सीमेंट मिलाकर इससे पक्षियों के लिए प्लेट का निर्माण भी किया जाता है, जिसे बाद में पक्षियों के लिए दाना चुगने और पानी पीने के बर्तन के रूप में इस्तेमाल किया जाता है।
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आज ‘संपूर्णम’ के जरिये जो लोग भी भगवान की खंडित मूर्ति को रिसाइकल करवाना चाहते हैंए वे जरूरी राशि को दान कर ऐसा कर सकते हैं। इसी के साथ ‘संपूर्णम’ के इस नेक काम में उनकी मदद के लिए दान भी कर सकते हैं।
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