भोपाल: भोपाल के गांधी मेडिकल कॉलेज (जीएमसी) में स्त्री रोग एवं प्रसूति रोग विभाग की जूनियर डॉक्टर बाला सरस्वती की आत्महत्या के मामले में डॉ. अरुणा कुमार को एचओडी पद से हटा दिया गया है। उनकी जगह डॉ. भारती सिंह परिहार को विभाग का प्रभारी एचओडी बनाया गया है। इसकी पुष्टि गांधी मेडिकल कॉलेज के डीन कार्यालय से जुड़े वरिष्ठ डॉक्टर ने की है। इससे पहले चिकित्सा शिक्षा मंत्री विश्वास सारंग ने कॉलेज में हड़ताल कर रहे जूनियर डॉक्टरों की मांगों को लेकर गांधी मेडिकल कॉलेज के डीन डॉ. अरविंद राय और अस्पताल अधीक्षक डॉ. आशीष गोहिया के साथ बैठक की।
बैठक में लिया गया फैसला
दरअसल, बुधवार दोपहर 2 बजे जीएमसी में कॉलेज काउंसिल की बैठक हुई, जिसमें काउंसिल के सदस्यों ने स्त्री एवं प्रसूति रोग विभाग की प्रोफेसर और एचओडी डॉ. अरुणा कुमार से जूनियर डॉक्टरों की हड़ताल खत्म करने का आग्रह किया। डॉ. बाला सरस्वती आत्महत्या के मामले में इस्तीफा मांगा, लेकिन डॉ. कुमार ने काउंसिल के फैसले को मानने से इनकार कर दिया। उन्होंने कहा था कि मैं पद से इस्तीफा नहीं दूंगी।
वरिष्ठ प्रोफेसर ने शांत कराया मामला
बुधवार दोपहर जीएमसी डीन डॉ. अरविंद राय की मौजूदगी में कॉलेज काउंसिल की बैठक बुलाई गई। इसमें हड़ताल पर बैठे जूनियर डॉक्टरों के प्रतिनिधियों को बातचीत के लिए बुलाया गया। बैठक में जब जूनियर डॉक्टर एसोसिएशन के पदाधिकारी स्त्री एवं प्रसूति रोग विभाग के एचओडी समेत अन्य प्रोफेसर, एसोसिएट प्रोफेसर और कंसल्टेंट के उत्पीड़न की शिकायत कर रहे थे। उसी समय कॉलेज के प्रशासनिक ब्लॉक में स्त्री एवं प्रसूति रोग विभाग की दो डॉक्टर जूनियर डॉक्टरों को बुलाकर हड़ताल वापस लेने की धमकी दे रही थीं। विभाग के डॉक्टरों के इस रवैये से नाराज होकर हड़ताल पर बैठे 50 से अधिक जूनियर डॉक्टर डीन कार्यालय पहुंचे और डीन डॉ. अरविंद राय से शिकायत की। जूनियर डॉक्टर डॉ. राय से शिकायत करते हुए रो पड़े। बाद में कॉलेज की वरिष्ठ प्रोफेसर डॉ. कविता कुमार ने आश्वासन देकर उन्हें शांत कराया।
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इससे पहले बुधवार सुबह भोपाल गांधी मेडिकल कॉलेज के जूनियर डॉक्टर हड़ताल पर बैठ गए। वे जूनियर डॉक्टर बाला सरस्वती की आत्महत्या मामले की जांच की मांग कर रहे हैं। दरअसल, जूनियर डॉक्टर बाला सरस्वती ने रविवार रात एनेस्थीसिया इंजेक्शन का ओवरडोज लेकर आत्महत्या कर ली। पुलिस को उनके कमरे से एक सुसाइड नोट मिला था, जिसमें उन्होंने विभाग के कुछ डॉक्टरों पर प्रताड़ित करने का आरोप लगाया था।
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