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समलैंगिक विवाहः कानूनी मान्यता मामले में Supreme Court कल भी करेगा सुनवाई

Karnataka government Muslim quota postponed till May 9 Supreme Court   नई दिल्लीः समलैंगिक विवाह को कानूनी मान्यता देने के मामले पर सुप्रीम कोर्ट में पांचवे दिन की सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार ने कहा कि ये एक सामाजिक मुद्दा है और कोर्ट को इसे विचार करने के लिए संसद पर छोड़ देना चाहिए । चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली बेंच इस मामले पर 27 अप्रैल को भी सुनवाई जारी रखेगी । केंद्र सरकार की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि याचिकाकर्ताओं को विवाह के लिए सामाजिक मान्यता चाहिए, यह प्रमुख मुद्दा है । उन्होंने कहा कि 160 ऐसे प्रावधान हैं, जिसके आधार पर यह कहा जा सकता है कि उनको विवाह की मान्यता नहीं दी जा सकती । मेहता ने कहा कि इससे पहले एक बहस होनी चाहिए । मेहता ने कहा कि इस पर सिविल सोसायटी समूहों और राज्यों के बीच चर्चा की जरूरत है । सभी कानून में महिला और पुरुष को एक परंपरा में बाटा गया है । राइट ऑफ सेक्सुअल ऑटोनमी पर किसी को ऐतराज नहीं है । यह भी पढ़ेंः-सूडान में फंसे यूपी के नागरिकों के लिए हेल्प डेस्क नम्बर... मेहता ने कोर्ट से याचिकाओं पर सुनवाई बंद करने को कहा । उन्होंने कहा कि इसका असर विपरीत लिंग वाले जोड़े पर भी पड़ेगा । इस पर संसद को फैसला करने दें । उन्होंने कहा कि जिन देशों में सेम सेक्स मैरिज की इजाजत है, वहां वो संसद के जरिए लाया गया है, कोर्ट के जरिए नहीं । अगर अदालत कोई फैसला करती है तो इसमें कई बदलाव करने होंगे और ये काम केवल संसद ही कर सकता है । मेहता ने कहा कि इसका विभिन्न कानूनों और पर्सनल लॉ पर प्रभाव पड़ता है । (अन्य खबरों के लिए हमें फेसबुक और ट्विटर पर फॉलो करें व हमारे यूट्यूब चैनल को भी सब्सक्राइब करें)