लखनऊः उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ से करीब 25 किलोमीटर दूर मलिहाबाद क्षेत्र में आम के बागों की निगरानी तेज कर दी गई है। पिछले दिनों आई आंधी, बारिश और ओले से आम की फसल कमजोर हुई थी। बागवान, किसान और व्यापारी सभी आने वाले दिनों में आम की स्थिति को लेकर चिंतित हैं। अभी अप्रैल में मौसम और भी खराब रहने की संभावना बताई गई है। इससे निगरानी तेज होने के बाद भी अभी बोली लगाने से हर कोई बच रहा है।
मौसम विभाग की ओर से चेतावनी दी गई है कि अप्रैल में आंधी और बारिश का सामना करना पड़ सकता है। यह उसी तरह से परेशान करने वाली खबर है, जिसका सामना किसानों को मार्च में करना पड़ा था। जिले में महिलाबाद, इटौंजा, काकोरी, रहीमाबाद और बख्शी का तालाब में ओले और बारिश से फसलें धराशाई हो गई थी। आम वाले स्थानों में बौर टूट कर पेड़ से अलग हो गए थे। इसके बाद जो नजारा सामने आ रहा है, उसे यही लग रहा है कि इस बार आम की फसल बेहद कमजोर होगी। कमजोर फसल होने पर न तो किसान का फायदा होने वाला है और न ही बागवान का।
बागवान चाहता है कि इस बार कूता व्यवस्था में बाग बेचे जाएं, क्योंकि बोली आसान नहीं होगी। यदि बोली लगाने के बाद मौसम ने पलटी मारी तो बड़ा नुकसान हो सकता है। बागवान को उचित पैसा न मिला, तो मेहनत भी बेकार जाएगी। उधर रहीमाबाद के व्यापारियों ने भी अभी आम के व्यापार के प्रति दिलचस्पी नहीं दिखाई है। किसान वैज्ञानिक सत्येंद्र सिंह का कहना है कि मलिहाबाद ही नहीं, पूरे उत्तर प्रदेश में आम की फसल पर मौसम का कहर रहा है। यदि यही स्थिति रही तो आढ़ती भी अपना तराजू आम तौल के लिए नहीं निकालेंगे।
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मलिहाबाद और रहीमाबाद के अलावा काकोरी से भी बड़े पैमाने पर देश-विदेशों को आम भेजा जाता है। बीते साल सरकार ने किसानों की आय बढ़ाने के लिए रहीमाबाद से फ्लाइट व्यवस्था भी शुरू की थी। हालांकि, इसमें अभी तक केवल सब्जियां ही भेजी गई हैं। मार्च से पहले तक उम्मीद थी की अबूधाबी दुबई के निकटवर्ती देशों में लखनऊ का आम बड़े पैमाने पर भेजा जाएगा, लेकिन सवाल यह है कि जब उम्मीद के मुताबिक आम का उत्पादन ही नहीं होगा तो बेचने के लिए कहां से आएगा? आम किसान राजेश सिंह यादव कहते हैं कि इस बार तो अनुमान भी नहीं लगाया जा सकता है कि इस बार आम की स्थिति बेहतर रहेगी या नहीं।
कई देशों को भेजे जाते हैं आम –
मलिहाबाद को आम के लिए तमाम देशों में जाना जाता है। यहां दशहरी, चैसा, फजली, लखनउवा, जौहरी, सफेदा आदि किस्में पाई जाती हैं। मलिहाबाद यूपी के बड़े आम के क्षेत्रों में सबसे बड़ा है। यहां लगभग 30,000 हेक्टेयर भूमि पर आम का उत्पादन होता है। लखनऊ में आम का विकास मलिहाबाद से ही शुरू किया गया था।
– शरद त्रिपाठी की रिपोर्ट
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