गांगुली बोले- पहले भी कई बार माकपा दफ्तरों पर फहराया जा चुका है तिरंगा

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कोलकाता: अमूमन राष्ट्रीय त्योहार और पूजा पाठ से दूर रहने वाली वामपंथी पार्टियां इस बार स्वतंत्रता दिवस के मौके पर पूरे देश में अपने कार्यालयों पर ध्वज फहराने जा रही हैं। पार्टी के इस फैसले की घोषणा रविवार को ही केंद्रीय कमेटी की बैठक के दौरान की थी। इसके बाद मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) ने बंगाल में इस आयोजन की तैयारियां तेज कर दी गई हैं।

इस संबंध में राज्य के पूर्व मंत्री और वरिष्ठ माकपा नेता कांति गांगुली ने से विशेष बातचीत में बताया कि इसके पहले भी कई मौके पर पार्टी दफ्तरों में तिरंगा फहराया गया है। यह कोई नई बात नहीं है, इसलिए इसे लेकर बहुत अधिक हौवा खड़ा करने की जरूरत नहीं है। उन्होंने कहा कि कार्यक्रम में राष्ट्रगान और राष्ट्रगीत भी होगा और मिठाई भी बांटी जाएगी।

पिछले एक दशक से पूरे देश में धीरे-धीरे अस्तित्व खो रही वामपंथी पार्टियों के इस बार स्वतंत्रता दिवस पर ध्वजारोहण को लेकर कई तरह के राजनीतिक कयास लगाए जा रहे हैं। कई राजनीतिक विश्लेषक दावा कर रहे हैं कि लोगों के बीच स्वीकार्यता स्थापित करने के लिए ही पार्टी ने यह निर्णय लिया है। केंद्रीय नेतृत्व पहले ही निर्णय ले चुका है कि पार्टी की कमान अब बुजुर्ग नेताओं से लेकर युवा नेतृत्व को सौंपी जाएगी। अब स्वतंत्रता दिवस पर ध्वजारोहण के जरिए नई पीढ़ी के बीच अपनी विचारधारा को पुनः स्थापित करने की कोशिश में पार्टी जुटी हुई है। हालांकि कई माकपा नेताओं ने इस तरह के दावों से इनकार किया है।

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पार्टी के केंद्रीय कमेटी के सदस्य तथा वरिष्ठ नेता सुजन चक्रवर्ती ने बताया कि आजादी की 25वीं और 50वीं सालगिरह पर भी ध्वजारोहण किया गया था। इस बार 75वीं स्वतंत्रता दिवस है। इसलिए ध्वजारोहण किया जा रहा है। इसका राजनीति से कोई लेना-देना नहीं। अपने व्यक्तिगत जीवन का जिक्र करते हुए चक्रवर्ती ने कहा कि जब वह छात्र जीवन में राजनीति करते थे, तब भी स्वाधीनता आंदोलन को लेकर अलग से कैसेट निकाला था और इस दिवस मनाते थे। हमारी पार्टी ने कभी भी तिरंगा फहराने को लेकर कोई बयान अथवा निर्णय नहीं लिया है। सच्चाई यह है कि माकपा के तिरंगा फहराने को लेकर जो लोग हंगामा कर रहे हैं, वे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की विचारधारा से प्रेरित हैं, जिनके नागपुर स्थित दफ्तर में आज तक तिरंगा झंडा नहीं फहराया गया है।

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