देश Featured टॉप न्यूज़

गडकरी का ऐलान- 15-20 दिन में सड़क पर ग्रीन हाइड्रोजन से चलने वाली कार लेकर घूमूंगा

नई दिल्ली: केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने गुरुवार को कहा कि कॉर्पोरेट सामाजिक उत्तरदायित्व (सीएसआर) के तहत सामाजिक और आर्थिक रूप से पिछड़े क्षेत्रों जैसे कृषि, ग्रामीण, जनजातीय और 115 आकांक्षी जिलों में प्राथमिकता के आधार पर विकास कार्य किए जाने चाहिए। अपने मंत्रालय से जुड़े विषय पर उन्होंने कहा कि वह पानी से हाइड्रोजन और ऑक्सीजन को अलग करके ग्रीन हाइड्रोजन तैयार करने के लिए लोगों को प्रेरित करने जा रहे हैं।

केंद्रीय मंत्री आज यहां सीएसआर रिसर्च फाउंडेशन द्वारा ‘फाइनैन्शल इन्क्लूश़न : ए वे टू पीपल, प्लानेट एंड प्रास्पेरिटी’ पर आयोजित छठे राष्ट्रीय सम्मेलन को संबोधित कर रहे थे। इस मौके पर सीएसआर रिसर्च फाउंडेशन के चेयरमैन दीनदयाल अग्रवाल सहित अन्य गणमान्य लोग उपस्थित थे।

गडकरी ने अपने सामाजिक सेवा कार्यों के अनुभवों को साझा करते हुए सीएसआर फाउंडेशन का आह्वान किया कि वह पानी से ग्रीन हाइड्रोजन तैयार करने के लिए लोगों को प्रेरित करें। उन्होंने कहा कि सरकार की योजना भविष्य में ग्रीन हाइड्रोजन से शहरों में बसों, कारों और ट्रकों को चलाने की है। उन्होंने कहा कि वह 15 से 20 दिनों के बाद स्वयं ग्रीन हाइड्रोजन चालित कार लेकर घूमेंगे। इसका उद्देश्य लोगों को विश्वास दिलाना है कि पानी से हाइड्रोजन निकालकर गाड़ी चल सकती है।

गडकरी ने प्रौद्योगिकी के ज्ञान को शक्ति की संज्ञा देते हुए कहा कि पिछड़े क्षेत्रों में कौशल है और उसमें प्रौद्योगिकी की अहम भूमिका है। उन्होंने कहा कि प्रौद्योगिकी का ज्ञान उन लोगों तक पहुंचता नहीं है। उन्होंने सेवा के साथ ही चैरिटेबल ट्रस्ट को वैल्यू एडिशन की सलाह देते हुए कहा कि सीएसआर का काम विकास के प्रोजेक्ट, स्वास्थ्य क्षेत्र, परिस्थितिकी, पर्यावरण के साथ जुड़े हुए हैं। उन्होंने इस काम में कौशल, जानकारी, प्रौद्योगिकी, प्रशिक्षण देकर वैल्यू एडिशन करने की सलाह दी। उन्होंने कहा कि इससे रोजगार सृजित होंगे और समाज में स्थिरता आएगी।

गडकरी ने जोर देकर कहा कि सीएसआर केवल चैरिटेबल ट्रस्ट नहीं है बल्कि समाज में स्थिरता लाने के लिए हम लोगों को प्रशिक्षित कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि इससे प्रोजेक्ट का सामाजिक-आर्थिक प्रभाव काफी होता है।

सीएसआर रिसर्च फाउंडेशन के चेयरमैन दीनदयाल अग्रवाल ने बताया कि इस तरह के सेमिनारों के आयोजन से जहां एक और समाज में कमजोर तबके के लोगों को उनकी जरूरतों तथा भविष्य की आवश्यकताओं के लिए धन की बचत करने, विभिन्न वित्तीय उत्पादों जैसे बैंकिंग सेवाओं, बीमा और पेंशन आदि के उपयोग से देश के आर्थिक क्रियाकलापों से लाभ प्राप्त करने के लिए प्रोत्साहन प्राप्त होता है, वहीं देश को ‘पूंजी निर्माण’ की दर में वृद्धि करने में भी सहायता प्राप्त होती है।

यह भी पढ़ेंः-6 दिसंबर को होगी पुतिन और मोदी की शिखर वार्ता, पहली...

उनका कहना है कि धन के प्रवाह से देश की अर्थव्यवस्था को गति मिलने के साथ-साथ आर्थिक क्रियाकलापों को भी बढ़ावा मिलता है। वित्तीय दृष्टि से अर्थव्यवस्था की मुख्यधारा में शामिल लोग ऋण सुविधाओं का आसानी से उपयोग कर पाते हैं। वित्तीय समावेशन से सरकार को सब्सिडी तथा कल्याणकारी कार्यक्रमों में अंतराल एवं हेराफेरी पर रोक लगाने में भी मदद मिलती है, क्योंकि इससे सरकार उत्पादों पर सब्सिडी देने की बजाय सीधे राशि लाभार्थी के खाते में अंतरित कर सकती है।

(अन्य खबरों के लिए हमें फेसबुक और ट्विटर  पर फॉलो करें व हमारे यूट्यूब चैनल को भी सब्सक्राइब करें…)