जी-20 देशों के प्रतिनिधियों ने देखी कान्हेरी गुफा की प्राकृतिक सुंदरता, जाना इतिहास

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मुंबई: जी-20 देशों के प्रतिनिधियों ने शुक्रवार को बोरीवली में स्थित संजय गांधी राष्ट्रीय उद्यान में कान्हेरी गुफा के अद्भुत सौंदर्य और प्राकृतिक सुंदरता का लुत्फ उठाया। पुरातत्व विभाग के अधिकारियों ने सभी प्रतिनिधियों को कान्हेरी गुफा की जानकारी दी। उन्होंने यहां आयोजित रंगारंग सांस्कृतिक कार्यक्रम का भी आनंद लिया। दरअसल, मुंबई में जी-20 देशों के प्रतिनिधियों का एक सम्मेलन 13 से 16 दिसंबर तक आयोजित किया गया था। इस सम्मेलन के अंतिम दिन जी-20 के प्रतिनिधियों ने मुंबई के संजय गांधी राष्ट्रीय उद्यान में प्रसिद्ध कान्हेरी गुफाओं का दौरा किया और इन स्थानों के इतिहास की जानकारी ली।

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कान्हेरी गुफा बोरीवली के पास साष्टी के जंगल में स्थित हैं। इन गुफाओं का इतिहास, ‘कान्हेरी’ शब्द की उत्पत्ति कैसे हुई। ये गुफाएं बुद्धकाल की भारत की कला और संस्कृति को दर्शाती हैं। केंद्रीय पुरातत्व विभाग के अधिकारियों ने जी-20 के प्रतिनिधियों को बताया कि यह क्षेत्र बहुत ही शांतिपूर्ण है और पर्यटकों को आकर्षित करने वाला है, इसलिए यहां बड़ी संख्या में पर्यटक आते हैं। इन गुफाओं में बौद्ध भिक्षुओं के लिए विहार, हॉल व कमरे हैं। बुद्ध और अवलोकितेश्वर की मूर्तियां, पहाड़ी की चोटी पर एक पानी की टंकी देखकर प्रतिनिधि अभिभूत हुए। गुफा के अंत में यहां एक विहार है, जहां बौद्धों ने विभिन्न गतिविधियों का संचालन किया। यहां सुपाठ्य शिलालेख और तीन लिपियों, ब्राह्मी, देवनागरी और पहलवी में एपिग्राफ हैं।

इस मौके पर केंद्रीय पर्यटन विभाग ने तुलसी झील पर एक सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन भी किया। इसमें भाग लेने वाले कलाकारों ने तबला वादन, पखवाल वादन और शास्त्रीय संगीत की प्रस्तुति दी। बांसुरीवादक देबो प्रिया, सुष्मिता चटर्जी, कालीनाथ मिश्रा और मृणाल मिश्रा ने भारतीय संस्कृति के विभिन्न प्रसिद्ध गीतों पर बांसुरी बजाई। जी-20 देशों के प्रतिनिधियों ने इसका भरपूर आनंद लिया।

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