वाराणसीः कभी सूबे में ही नहीं बल्कि पूरे उत्तर भारत में मशहूर रहे माफिया मुख्तार अंसारी को एक-एक कर अपने गुनाहों की सजा मिलनी शुरू हो गई है। 32 साल पुराने बहुचर्चित अवधेश राय हत्याकांड में सोमवार को एमपी-एमएलए कोर्ट में मुख्तार अंसारी को उम्रकैद की सजा सुनाई गई है। विशेष न्यायाधीश (एमपी विधायक) अवनीश गौतम की अदालत ने मुख्तार अंसारी पर एक लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया। जुर्माना अदा न करने की स्थिति में उसे 6 माह का अतिरिक्त कारावास भुगतना होगा। वहीं, इसी मामले में एक अन्य धारा में मुख्तार पर 20 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया गया है।
मुख्तार वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए जुड़े थे
सजा सुनाए जाने के दौरान माफिया मुख्तार अंसारी वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए बांदा जेल से जुड़े रहे। इस दौरान मुख्तार ने अपने वकीलों के जरिए पहले खुद को निर्दोष बताया और फिर उम्र का हवाला देते हुए सजा कम करने की गुहार लगाई। वहीं, सहायक जिला शासकीय अधिवक्ता विनय कुमार सिंह ने बचाव पक्ष की दलीलों का विरोध करते हुए मुख्तार अंसारी के लंबे आपराधिक इतिहास का हवाला देते हुए पूरे मामले को दुर्लभतम बताते हुए अधिकतम सजा की मांग की। इस मामले में कोर्ट ने आईपीसी की धारा-148 के तहत 3 साल कैद व 20 हजार जुर्माना व धारा-302 के तहत आजीवन कारावास व एक लाख रुपये जुर्माना की सजा सुनाई है। सभी सजाएं साथ-साथ चलेंगी। जुर्माना नहीं देने की स्थिति में छह माह अतिरिक्त जेल में बिताने होंगे।
अब मुख्तार अंसारी की पूरी जिंदगी जेल में बीतेगी
अपने गैंग के जरिए कई दशकों तक यूपी समेत कई राज्यों में आतंक का पर्याय रहे मुख्तार अंसारी को पहली बार उम्रकैद की सजा सुनाई गई है। यह मुख्तार को उसके गुनाहों की अब तक की सबसे बड़ी सजा है। बता दें कि मुख्तार अंसारी के खिलाफ 61 से ज्यादा मुकदमे दर्ज होने के बावजूद दशकों तक एक भी मामले में सजा नहीं हुई। योगी सरकार की अपराध के प्रति जीरो टॉलरेंस की नीति और अदालतों में प्रभावी लॉबिंग के चलते अवधेश राय हत्याकांड में मिली सजा के बाद अब उसकी पूरी जिंदगी जेल में ही कटनी तय है।
कांग्रेस नेता अवधेश राय की बेरहमी से हत्या कर दी गई
गौरतलब है कि 03 अगस्त 1991 को वाराणसी के लहुराबीर इलाके में रहने वाले कांग्रेस नेता अवधेश राय की निर्ममता से गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। अवधेश राय के भाई और पूर्व विधायक अजय राय ने इस मामले में मुख्तार अंसारी के साथ ही पूर्व विधायक अब्दुल कलाम, भीम सिंह, कमलेश सिंह और राकेश श्रीवास्तव उर्फ राकेश न्यायिक के खिलाफ वाराणसी के चेतगंज थाने में प्राथमिकी दर्ज कराई थी। मुख्तार अंसारी फिलहाल बांदा जेल में बंद है। भीम सिंह गैंगस्टर होने का दोषी करार दिए जाने के बाद से गाजीपुर जेल में बंद है। पूर्व विधायक अब्दुल कलाम और कमलेश सिंह का निधन हो गया है। प्रयागराज सत्र न्यायालय में चल रहे इस मामले में राकेश जस्टिस ने अपना केस अलग कर ट्रायल शुरू कर दिया है।
फैसले से पहले मुख्तार की ओर से कई पैंतरे अपनाए गए
यूपी पुलिस द्वारा दायर चार्जशीट, गवाही और जोरदार पैरवी को देखते हुए मुख्तार अंसारी ने इस मामले में फैसला आने से पहले कई पैंतरे अपनाए। चर्चा थी कि मुख्तार अंसारी ने मुकदमे की सुनवाई शुरू होने से पहले ही अदालत के रिकॉर्ड रूम से मामले की मूल फाइल गायब कर दी थी। इसके बाद संभवत: पहली बार फोटो स्टेट चार्जशीट पर इतने चर्चित मामले की सुनवाई पूरी करते हुए सजा सुनाई गई है। सीबीसीआईडी ने 1991 में हत्याकांड की जांच की और चार्जशीट दायर की। चार्जशीट के आधार पर ट्रायल शुरू हुआ लेकिन बाद में इसे प्रयागराज के एमपी एमएलए कोर्ट में ट्रांसफर कर दिया गया। वर्ष 2020 में सरकार ने हर जिले में एमपी एमएलए कोर्ट का गठन किया, फिर केस वापस वाराणसी एमपी एमएलए कोर्ट भेज दिया गया।
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बम धमाके के कारण कोर्ट की सुनवाई रुकी रही
पहले इस मामले की सुनवाई बनारस के एडीजे कोर्ट में ही चल रही थी, लेकिन 23 नवंबर 2007 को सुनवाई के दौरान ही कोर्ट से चंद कदम की दूरी पर बम धमाका हो गया। इसके बाद मामले के एक आरोपी राकेश जस्टिस ने सुरक्षा को खतरा बताते हुए हाईकोर्ट की शरण ली और सुनवाई काफी देर तक रुकी रही। इलाहाबाद में स्पेशल जज एमपी/एमएलए कोर्ट के गठन पर सुनवाई शुरू हो गई है। फिर बनारस में सांसद/विधायक की विशेष अदालत बनने के बाद सिर्फ मुख्तार अंसारी के खिलाफ सुनवाई शुरू हुई। जबकि राकेश जस्टिस की फाइल अभी वहीं पेंडिंग है।
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