देश Featured

फिल्मों से लेकर राजनीति तक स्टालिन ने फहराया अपना परचम, ऐसा रहा सीएम पद तक पहुंचने का सफर

नई दिल्लीः मुथुवेल करुणानिधि स्टालिन ने तमिलनाडू के नए मुख्यमंत्री के तौर पर शपथ ले ली है। तमिलनाडू की बागडोर अपने हाथ में लेने के बाद से वे लगातार एक्शन में नजर आ रहे हैं। पिछले 4 दशकों से स्टालिन राजनीति में लगातार सक्रिय हैं। बता दें कि एमके स्टालिन दिवंगत पूर्व मुख्यमंत्री एम करुणानिधि के तीसरे बेटे हैं। इसलिए राजनीति तो उनको विरासत में मिल गई, लेकिन इस विरासत में मिली सियासत में अपना निजी विश्वास बना पाना इतना आसान नहीं था।

पारिवारिक जंग में हुआ नुकसान

राजनीति में मुकाम हासिल करने के लिए एमके स्टालिन को अपने सौतेले भाई एमके अलागिरी की चुनौती स्वीकार करनी पड़ी, लेकिन इस पारिवारिक जंग में डीएमके को भारी नुकसान हुआ था। जिसका नतीजा ये रहा कि हर पांच साल में अपना निजाम बदल देने वाले तमिलनाडु ने पिछले चुनाव में ऐसा नहीं किया। लिहाजा AIDMK लगातार 10 साल सत्ता में बैठी रही।

फिल्मों में आजमाई किस्मत

बता दें कि पिछले चार दशकों से एमके स्टालिन राजनीति जगत में सक्रिय हैं, लेकिन अगर 4 दशक पीछे चलें तो 1980 का दौर आता है। हालांकि वह 14 साल की उम्र से प्रचार करने लगे थे, इसलिए इसी दौर को उनको सक्रिय प्रवेश माना जाता है। स्टालिन ने तमिल फिल्मों में काम किया है। 1990 के दशक में उन्होंने सन टीवी के टेलीविजन धारावाहिकों में भी काम किया है।

चेन्नई में मद्रास विश्वविद्यालय के नंदनम आर्ट्स कॉलेज से इतिहास में अपनी स्नातक स्तर की पढ़ाई पूरी करने वाले स्टालिन करुणानिधि की सरकार में वे ग्रामीण विकास और स्थानीय प्रशासन मंत्री भी रह चुके हैं। लेकिन राजनीति में उनकी सक्रिय शुरुआत 1973 से शुरू हुई।

ऐसे हुई राजनीति में एंट्री

1973 में स्टालिन को द्रविड़ मुनेत्र कझगम (DMK) की आम समिति में जगह मिली। देश में जब आपातकाल लगा इसके विरोध में स्टालिन को मीसा के तहत जेल में डाल दिया गया। स्टालिन 1989 के बाद से तमिलनाडु विधानसभा के लिए चेन्नई के थाउजेंड लाइट्स निर्वाचन क्षेत्र से चार बार चुने गए हैं।

यह भी पढ़ेंः-कोरोना की चपेट में आयीं कंगना रनौत, बोलीं- मैं इसे खत्म कर दूंगी

जबकि इसी शहर ने 1996 में मेयर बनाया था। 2001 में स्टालिन एक बार फिर से मेयर चुने गए, लेकिन बाद में फ्लाईओवर घोटाले के आरोप में उन्हें पद से इस्तीफा देना पड़ा था। अपनी पिछली दो जीत के साथ डीएमके नेता हैट्रिक की उम्मीद कर रहे हैं। 2011 के विधानसभा चुनावों से पहले स्टालिन थाउजेण्ड लाइट विधानसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ते थे। बता दें कि साल 2009 में तमिलनाडु के पहले डिप्टी सीएम बने थे। 2009 से 2011 तक वो इस पद पर रहे थे। 3 जनवरी 2013 को करुणानिधि ने स्टालिन को आधिकारिक तौर पर अपना उत्तराधिकारी घोषित किया था।