Saturday, December 28, 2024
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स्वतंत्रता सेनानी मिट्ठू ने जेल में भी जारी रखा था ‘भारत छोड़ो आंदोलन’ की गतिविधियां

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बड़वानीः देश की आज़ादी के 75 वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्य में हम अमृत महोत्सव मना रहे हैं। इसके अंर्तगत हर घर तिरंगा अभियान भी चल रहा है। इस अभियान में हम निमाड़ के स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों को याद कर रहे हैं, जिन्होंने अपने जीवन के अनमोल क्षणों को देश की सेवा में लगा दिया। ऐसे ही मिठु भाई थे, जिन्होंने भारत छोड़ो आंदोलन की आंदोलन की गतिविधियां जेल में भी जारी रखी थीं।

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स्वतंत्रता संग्राम सेनानी स्व. मिट्ठू भाई नेनसी भाई का जन्म 10 फरवरी 1922 को कच्छ (गुजरात) नारायणपुर में हुआ था। उन्होंने प्राथमिक अध्यन कच्छ में किया और फिर आगे की पढाई के लिए मुंबई चले गए। उनके परिवार का गुजरात में गांधीजी से सीधा संपर्क था, जिसके कारण मिठु भाई गांधीजी के आदर्शों ओर विचारों से बहुत प्रभावित रहे। वे बचपन से ही खादी पहनते थे। शिक्षा अध्यन पूर्ण करने के पश्चात स्व. मिट्ठू भाई कारोबार के लिये गुजरात से पश्चिम निमाड़ के खरगोन में आ गए। यहां निमाड़ के गांधी विश्वनाथ खोड़े के सम्पर्क में आए और प्रज्ञा मण्डल के सदस्य बनकर, आजादी के आंदोलन की गतिविधियां संचालित करने लग गए।

सन 1942 में खरगोन में भारत छोड़ो आंदोलन हुआ तो ब्रिटिश शासन के खिलाफ प्रदर्शन शुरू हो गए। जगह-जगह विदेशी कपड़ों की होली जलाई गई। इन विरोधी गतिविधियों के कारण अंग्रेजी शासन ने स्व. मिट्ठू भाई को धारा 126ध 12 के तहत गिरफ्तार कर खरगोन जेल में रखा और फिर 16 अगस्त को खरगोन से मण्डलेश्वर जेल भेजा गया। यहाँ से 3 सितंबर 1942 को सेंधवा जेल रवाना कर दिया और 10 सितम्बर को सेंधवा से खुरमपुरा पुलिस कस्टडी में भेज दिया। यहां से भी 12 अक्टूम्बर 1942 को मानपुर जेल में रवाना किया।

इस तरह मिट्ठू भाई ने विभिन्न जेलों में 7 महीने 28 दिन गुजारे। कैद खाने में भी मिट्ठू भाई जैन तथा उनके साथियों ने ब्रिटिश शासक का विरोध बनाए रखा। मिट्ठू भाई एवं साथी जेल में भी जेलरों के क्रूर व्यवहार का विरोध सक्रिय रूप से करते रहे। वे सभी नियमित रूप से जेल में प्रार्थना करना, आजादी के गीत गाना, चरखा चलाना जैसी गतिविधियां करते रहे। जेल से रिहा होने के बाद मिठु भाई जब खरगोन पहुंचे तो वहां की जनता ने उनका भव्य स्वागत किया।

1947 में स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद मिट्ठू भाई जैन सेंधवा आ गए और अपना सम्पूर्ण जीवन समाज सेवा कार्यों में लगा दिया। उन्होंने सेंधवा की अनेक समाज सेवी संस्थाओं के महत्वपूर्ण पदों पर रहकर समाज सेवा की। 18 जुलाई 1989 को मोटर दुर्घटना में सेंधवा के कर्मठ सच्चे समाज सेवक, स्वतंत्रता संग्राम सेनानी मिट्ठू भाई का दुखद निधन हो गया।

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