Tuesday, November 19, 2024
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Homeखेलफॉरवर्ड अभिषेक बोले- घरेलू और अंतरराष्ट्रीय हॉकी पूरी तरह से अलग

फॉरवर्ड अभिषेक बोले- घरेलू और अंतरराष्ट्रीय हॉकी पूरी तरह से अलग

भुवनेश्वरः साउथ अफ्रीका में एफआईएच हॉकी प्रो लीग में सीनियर टीम में डेब्यू करने वाले युवा भारतीय हॉकी फारवर्ड अभिषेक ने बुधवार को कहा है कि अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर खेलना और राष्ट्रीय स्तर पर प्रतिस्पर्धा करना पूरी तरह से अलग है। भारत ने प्रो लीग मैचों के पहले दौर में मेजबान साउथ अफ्रीका और फ्रांस से खेला, दोनों मैचों में मेजबानों को बड़े अंतर से हराया, जबकि फ्रांस से दो मैचों में से एक में मुकाबले में हार गया।

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अभिषेक ने बुधवार को कहा, “मैंने मैचों के दौरान बहुत कुछ सीखा। यह हॉकी की शैली से बहुत अलग है, जो मैंने राष्ट्रीय स्तर पर पहले खेला है, क्योंकि यह बहुत तेज और अधिक चुनौतीपूर्ण था। लेकिन मैं अपने प्रदर्शन से खुश हूं और मुझे लगता है कि मैं एक खिलाड़ी के रूप में आगे बढ़ रहा हूं।” 22 वर्षीय फारवर्ड ने तीन मैच खेले और एक गोल भी किया। उन्होंने कहा कि अपने पहले अंतर्राष्ट्रीय असाइनमेंट में निशाने पर रहना एक यादगार पल था।

उन्होंने कहा, “अंतर्राष्ट्रीय मंच पर अपने देश का प्रतिनिधित्व करना हमेशा बहुत गर्व की बात होती है। मुझे दौरे पर भारतीय जर्सी पहनकर गर्व महसूस हुआ और यह मेरे लिए एक सपने के सच होने जैसा क्षण था। एक खिलाड़ी के रूप में आप हमेशा अधिक से अधिक स्कोर करना चाहते हैं। मुझे खुशी है कि मैं साउथ अफ्रीका के खिलाफ अपना खाता खोलने में सक्षम था और मैं उस पल को कभी नहीं भूलूंगा।” सोनीपत (हरियाणा) के अभिषेक ने 11 साल की उम्र में हॉकी खेलना शुरू कर दिया था।

उन्होंने आगे कहा, “मुझे खेल में काफी दिलचस्प है, इसलिए मैंने इसमें रुचि विकसित की। पहले, यह मेरे साथियों के साथ सिर्फ दोस्ताना खेल हुआ करता था, लेकिन बाद में मैंने फैसला किया खेल में अपना करियर बनाना है, क्योंकि मेरी दिलचस्पी बढ़ती जा रही थी।” अपने हॉकी करियर की शुरुआत में अभिषेक को उनके स्कूल के कोचों ने मदद की, जिन्होंने उनके कौशल के कारण उनके माता-पिता को उन्हें खेल को आगे बढ़ाने की अनुमति देने को कहा था।

उन्होंने कहा, “मेरे पिता एक रिटायर्ड बीएसएफ अधिकारी हैं, जबकि मेरी मां एक गृहिणी हैं। जब मैंने हॉकी खेलना शुरू किया, तो वे दोनों चिंतित थे क्योंकि मुझे चोट लग रही थी। मेरे स्कूल के कोचों ने उनसे बात की और उन्हें मुझे खेलने की अनुमति देने के लिए मना लिया क्योंकि उन्हें लगा कि मैं एक अच्छा खिलाड़ी हो सकता हूं।”

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