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लंबे संघर्ष के बाद पूर्व लेफ्टिनेंट कर्नल को मिली जीत, सेना कोर्ट ने दिया दिव्यांगता पेंशन देने का आदेश

kargil लखनऊः कारगिल युद्ध में जाबांजी से दुश्मनों के छक्के छुडाने वाले गोरखपुर निवासी पूर्वलेफ्टिनेंट कर्नल कृष्ण मुरारी राय को 16 साल के लंबे समय के संघर्ष के बाद सेना कोर्ट ने दिव्यांगता पेंषन देने का आदेष दिया है। मामला यह था कि पूर्वलेफ्टिनेंट कर्नल कृष्ण मुरारी राय 1982 में दुश्मनों पर गोलों की बारिश करने वाली बिहार रेजिमेंट में भर्ती हुए और, सन 1999 में कारगिल युद्ध में भाग लेकर देश के दुश्मनों को सबक सिखाया और, इसके बाद आपरेशन पराक्रम में अपना जौहर दिखाया लेकिन, मानेसर में एनएसजी कमाण्डो की ट्रेनिंग के दौरान उसकी कमर में चोट लगने से उसे सर्विकल स्पान्डलाईसिस की बीमारी हो गई जिसे डाक्टरों ने सर्विस से जुड़ा होना माना और तीस प्रतिशत आजीवन घोषित किया जिसे पीसीडीए(पेंशन) ने मानने से इंकार कर दिया। उसके बाद दिव्यांग जाबांज सैनिक ने रक्षा-मंत्रालय सहित तमाम अधिकारियों के सामने न्याय की गुहार लगाई लेकिन उनकी एक न सुनी गई। इसके बाद उन्होंने अधिवक्ता विजय कुमार पाण्डेय के माध्यम से 2022 में सेना कोर्ट लखनऊ में मुकदमा दायर करके इंसाफ की गुहार लगाई। पहले दिन ही विलंब को माफ करते हुए खण्ड-पीठ ने रक्षा-मंत्रालय से जवाब तलब किया लेकिन सरकार ने इसका विरोध किया। सुनवाई के दौरान याची के अधिवक्ता विजय कुमार पाण्डेय ने कारगिल के जाबांज का पक्ष रखते हुए दलील दी कि जब मेडिकल की एक्सपर्ट टीम ने सेना से जुड़ा होना घोषित कर दिया तो पेंशन देने वाली अथाॅरिटी को यह अधिकार नहीं है कि वह एक्सपर्ट ओपिनियन के खिलाफ जाकर पेंशन देने इंकार कर सके क्योंकि, एक्सपर्ट की राय को मोहिन्दर सिंह बनाम भारत सरकार के मामले में सर्वोच्च-न्यायालय ने प्रमुखता देते हुए कहा है कि उसको खारिज करने का मजबूत आधार का होना जरूरी है जबकि, पेंशन देने वाली अथारिटी के पास न तो कोई आधार था और न कोई अधिकार लिहाजा याची पेंशन पाने का हकदार है। ये भी पढ़ें..Women T20 World Cup:आयरलैंड के खिलाफ अपनी शानदार पारी पर स्मृति... रक्षा-मंत्रालय, सीडीए(पेंशन) गोलीबार मैदान और प्रयागराज के अधिवक्ता के जबर्दस्त विरोध को दरकिनार करते हुए न्यायमूर्ति उमेश चन्द्र श्रीवास्तव एवं वाईस एडमिरल अनिल कुमार जैन की खण्डपीठ ने सैनिक को दिव्यांगता पेंशन चार महीने के अंदर दिए जाने का आदेश सुनाया और आगे यह भी निर्देश दिया कि आदेश में निर्धारित समयसीमा का अतिक्रमण आठ प्रतिशत ब्याज के योग्य भी याची को बनाएगी। (अन्य खबरों के लिए हमें फेसबुक और ट्विटर पर फॉलो करें व हमारे यूट्यूब चैनल को भी सब्सक्राइब करें)