पटना: केंद्र सरकार की सेना भर्ती योजना अग्निपथ को लेकर पूरे देश में प्रदर्शनकारियों का बवाल शुक्रवार को तीसरे दिन भी जारी है। इसको लेकर सेना और केंद्रीय बल के पूर्व जवानों से बात की। उनका कहना था कि देश के हित में सरकार का यह अच्छा फैसला है लेकिन इसमें व्यक्तिगत हानि है। उन्होंने बताया कि चार साल की नौकरी देश के बेरोजगारों के हित में नहीं है।
सेना के आर्टिलरी विंग से सेवानिवृत 42 वर्षीय मूलत: बिहार के मुजफ्फरपुर निवासी नवीन कुमार ने बताया कि सरकार और देश के हिसाब से अग्निपथ योजना ठीक है लेकिन सेना और केंद्रीय बल में 90 प्रतिशत युवा गरीब या किसान परिवार से हैं। चार साल की सेवा के बाद 25 प्रतिशत अग्निवीरों को स्थाई करने की योजना से भ्रष्टाचार फैलने की आशंका है।
पूर्वी चंपारण जिले के रामगढवा निवासी भूतपूर्व सैनिक ओमप्रकाश ओझा ने बताया कि इस योजना में एक नहीं कई खामियां है। उन्होंने बताया एक कुशल सैनिक को प्रशिक्षित करने के लिए महज छह माह का प्रशिक्षण निर्धारित किया गया है जो अपर्याप्त है। साथ ही महज चार साल नौकरी के बाद आगे भविष्य की निश्चित गारंटी निर्धारित नहीं की गई है।
सरकार की यह योजना बिहार और उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों के युवाओं के लिए निराशाजनक है। जहां न कोई उद्योग है न ही कल कारखाना। सबसे बड़ी बात तो यह है कि सेना में ज्यादातर मध्यम, अति मध्यम व गरीब वर्ग के युवा ही शामिल होते हैं। यह युवा सेना में जाने के लिये कड़ी मेहनत करते हैं ताकि देश सेवा के साथ उनका और उनके परिवार का भविष्य सुरक्षित रख सके।
उन्होंने बताया कि सेना के आधुनिकीकरण के और भी कई तरीके हैं लेकिन ये तरीका कहीं से अच्छा नहीं है। सरकार भले इस योजना को अपने तरीके से रेखांकित करे लेकिन सच यह है कि यह न तार्किक है और न ही इसमें कोई दूरदृष्टि है। सरकार का इसमें अपना फायदा हो सकता है लेकिन देश में बेरोजगारी का सामना कर रहे उन लाखों युवाओं का कोई लाभ नहीं है जो सेना में जाने का सपना देख रहे हैं।
केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल में जम्मू-कश्मीर में तैनात गणेश कुमार मूलत: बिहार के पटना के रहने वाले हैं। उनका कहना है कि देश हित और सरकार के हित में यह फैसला अच्छा है। इससे भारत दुनिया की सबसे बड़ी सेना बन जाएगी और साथ ही काबिल सेना होगी। उन्होंने बताया कि नेवी के स्पेशल कमांडो गरुड़ की प्रशिक्षण अवधि करीब तीन साल है। ऐसे में सेना में केवल चार साल के लिए भर्ती की यह योजना इतने बड़े देश के युवाओं को बेरोजगारी की ओर धकेलेगी।
सेना के सेवानिवृत जवान बीमल चौधरी ने कहा कि यहां बेरोजगारों की बहुत बड़ी फौज है। इसकी बड़ी वजह जनसंख्या है। ऐसे में अगर चार साल की नौकरी सेना में मिलती है, तो वह मन लगाकर अपना समर्पण भी नहीं दिखायेगा। अगर कहीं आतंकवादी से मुठभेड़ होगा तो वह लड़ेगा भी नहीं। उसके दिमाग में बैठा रहेगा कि चार साल में तो हम सेवानिवृत हो रहे हैं।
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उन्होंने कहा कि इसके उलट सरकार को इससे लाभ है। सरकार को फिलहाल एक जवान की सेवानिवृति के बाद अच्छी खासी रकम हर माह खर्च करनी पड़ रही है। उन्होंने तल्ख टिप्पणी करते हुए कहा कि एक बार जनप्रतिनिधि (एमएलए-एमएलसी-एमपी) बनने के बाद जीवनभर पेंशन का हकदार हो जाता है। ऐसे में सेना के जवानों को चार साल तक ही भर्ती करने के बाद उन्हें हटाना न्यायसंगत नहीं है।
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