चंडीगढ़ः हरियाणा के पूर्व मुख्य संसदीय सचिव रामपाल माजरा ने कृषि कानूनों का विरोध करते हुए गुरुवार को भाजपा छोड़ने का ऐलान कर दिया। माजरा चौटाला सरकार में मुख्य संसदीय रहे हैं। विधानसभा चुनाव के दौरान उन्होंने इनेलो छोड़कर भाजपा ज्वाइन की थी। गुरुवार को चंडीगढ़ में पत्रकारों से बातचीत में रामपाल माजरा ने कहा कि गणतंत्र दिवस पर दिल्ली में हुई घटना पूरी तरह से निंदनीय है।
उन्होंने कहा कि जो भी लाल किले पर हुआ उससे देश वासियों की भावनाएं आहत हुई हैं। इस मामले में सीआईडी तथा गृह विभाग पूरी तरह से फेल साबित हुआ है। माजरा ने कहा कि सरकार कॉरपोरेट घरानों को लाभ पहुंचाने के लिए कृषि कानून लागू करने पर अड़ी हुई है। उन्होंने कहा कि देश में सबसे बड़ा आंदोलन चल रहा है। डेढ सौ के करीब किसानों की मौत हो चुकी है। इसके बावजूद सरकार यह कानून वापस लेने को तैयार नहीं है।
इससे साफ होता है कि सरकार को देशवासियों या किसानों की चिंता नहीं है। सरकार केवल कॉरपोरेट घरानों की चिंता कर रही है। माजरा ने कहा हरियाणा सरकार भी एक बिल ला चुकी है जिसके माध्यम से अपनी मंडी बनाने का अधिकार दिया गया है। माजरा ने कहा कि यह सरकार देशवासियों के हितों की अनदेखी कर रही है। उन्होंने भाजपा की नीतियों को देखकर इसमें शामिल होने का फैसला किया था लेकिन आज भाजपा की नीतियां किसान विरोधी हो गई हैं। इसिलए वह भाजपा को अलविदा करते हैं।
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माजरा ने कहा कि उन्होंने इनेलो छोड़कर शायद गलती की थी। भविष्य की रणनीति का ऐलान किए बगैर रामपाल माजरा ने कहा कि इनेलो विधायक अभय चौटाला ने इस्तीफा देकर सभी विधायकों के समक्ष नजीर पेश की है। आज के दौर में लोग सरपंच का पद भी नहीं छोड़ रहे हैं और अभय ने विधायक की कुर्सी को ठोकर मारकर ताउ देवीलाल की नीतियों को फिर से उजागर कर दिया है। रामपाल माजरा ने कहा कि अब वह खुलकर किसान आंदोलन में भाग लेंगे। माजरा ने कहा कि आज उन्होंने भाजपा छोड़ने का फैसला किया है। उन्होंने दावा किया कि हरियाणा में बहुत जल्द कई नेता भाजपा को छोड़ने हैं।