लखनऊः उत्तर प्रदेश स्टेट इंस्टीट्यूट ऑफ फॉरेंसिक साइंस (यूपीएसआइएफएस) यूपी का पहला फोरेंसिक साइंस इंस्टीट्यूट होगा। संस्थान का उद्देश्य पुलिस के लिए फॉरेंसिक विशेषज्ञों को तैयार करना है। यह संस्थान राज्य की राजधानी लखनऊ के सरोजिनीनगर क्षेत्र में स्थित है और कक्षाएं जुलाई में शुरू होंगी।
यूपीएसआईएफएस गुजरात के राष्ट्रीय फॉरेंसिक विज्ञान विश्वविद्यालय (एनएफएसयू) से संबद्ध है। संस्थान के परिसर को तीन खंडों में विभाजित किया गया है। 05 एकड़ के परिसर में एक समर्पित डीएनए प्रयोगशाला और 03 एकड़ में फॉरेंसिक विज्ञान प्रयोगशाला में 500 छात्रों के लिए छात्रावास की सुविधा भी प्रदान की जाएगी। संस्थान स्नातक और स्नातकोत्तर पाठ्यक्रमों की एक विस्तृत श्रृंखला प्रदान करेगा। यह फॉरेंसिक साइंस में बीएससी, एमएससी और बैलिस्टिक, साइबर सुरक्षा और डीएनए में एक साल का डिप्लोमा प्रदान करेगा। वर्तमान में फॉरेंसिक बीएससी व एमएससी फॉरेंसिक साइंस से संबंधित पांच कोर्स फॉरेंसिक डॉक्यूमेंट एग्जामिनेशन में पीजी डिप्लोमा, साइबर सिक्योरिटी में पीजी डिप्लोमा, डीएनए फॉरेंसिक और फॉरेंसिक बैलिस्टिक्स एंड एक्सप्लोसिव्स में पीजी डिप्लोमा संचालित किया जाएगा।
विशेष डीजी लॉ एंड ऑर्डर प्रशांत कुमार के अनुसार, संस्थान की वेबसाइट ने प्रवेश प्रक्रियाओं और आवश्यकताओं को संचालित और सूचीबद्ध करना शुरू कर दिया है। प्रवेश के अलावा संस्थान 496 पदों को भरने के लिए कर्मचारियों की भी भर्ती कर रहा है, जिसमें 14 प्रोफेसर, 12 एसोसिएट प्रोफेसर और 42 सहायक प्रोफेसर शामिल हैं। एडीजी जीके गोस्वामी ने कहा कि संस्थान छात्रों को तीन वर्टिकल क्राइम सीन मैनेजमेंट, क्राइम लैब एनालिसिस और फॉरेंसिक एक्सपर्ट ओपिनियन के अनुवाद पर प्रशिक्षित करेगा। तीसरा कार्यक्षेत्र इस संस्थान की यूएसपी है, क्योंकि यह अवधारणा अपेक्षाकृत नई है। इसके तहत छात्रों को उनकी विशेषज्ञ राय को अदालत के समक्ष विश्वसनीय कानूनी साक्ष्य में तब्दील करने के लिए प्रशिक्षित किया जाएगा। एक अन्य अधिकारी ने कहा कि व्यवहार विज्ञान विभाग में एक अलग लैब में ब्रेन मैपिंग, लाई डिटेक्शन टेस्ट, नार्का एनालिसिस की सुविधाएं होंगी। इसमें नागरिक और आपराधिक कानून का संसाधन केंद्र भी होगा।