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विदेशी विश्वविद्यालयों में भारतीयों की राह होगी आसान, नया फ्रेमवर्क बनेगा समाधान

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नई दिल्लीः उच्च शिक्षा में एक बड़ा सकारत्मक बदलाव होने जा रहा है। इसके तहत उच्च शिक्षा संस्थानों में एक समान फ्रेमवर्क होगा। इस फ्रेमवर्क का लाभ उन भारतीय छात्रों को मिलेगा जो विदेशी यूनीवर्सिटी से ड्यूल डिग्री और ज्वाइंट डिग्री लेना चाहते हैं। भारतीय छात्र इस बदलाव के उपरांत विदेशी यूनीवर्सिटी में दाखिला लेने के पात्र होंगे। उच्च शिक्षा में क्वालिफिकेशन फ्रेमवर्क का लेवल अलग-अलग होने के कारण छात्र ड्यूल डिग्री में दाखिला नहीं ले सकते थे। हालांकि अब उच्च शिक्षा के क्षेत्र में यह समस्या नहीं रहेगी।

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दरअसल यूजीसी ने नेशनल हायर एजुकेशन क्वालिफिकेशन फ्रेमवर्क (एनएचइक्यूएफ) में बदलाव किया है। हायर एजुकेशन में पांच से लेकर 10 तक के लेवल को कम करके 4.5 से 8 लेवल तक कर दिया गया है। यह फ्रेमवर्क ग्रेजुएशन से लेकर पीएचडी तक लागू होगा। उच्च शिक्षा संस्थानों में छात्रों के लिए मूल्यांकन के कुछ मानदंड स्थापित किए हैं और इसे 5 से 10 के लेवल में विभाजित किया था। वहीं 1 से 4 लेवल स्कूली शिक्षा को कवर करता है।

गौरतलब है कि दुनियाभर के उच्च शिक्षण संस्थानों में 6 से लेकर 12 तक लेवल हैं। विश्व में सर्वाधिक स्कॉटलैंड के 12 लेवल है। न्यूजीलैंड, ऑस्ट्रेलिया और मलयेशिया का लेवल 10 है। यूरोप के देशों में उच्च शिक्षा में यह 8 लेवल है। हांगकांग। सिंगापुर 7 लेवल और थाईलैंड 6 लेवल पर पढ़ाई करवाता है। अब यदि कोई छात्र विदेशी विश्वविद्यालय से ड्यूल डिग्री और ज्वाइंट डिग्री प्रोग्राम की पढ़ाई के लिए जाता है तो उसे अब दिक्कत नहीं होगी। यूजीसी के इस एनएचईक्यूएफ में बदलाव के चलते भारतीय उच्च शिक्षा में भी क्वालिफिकेशन फ्रेमवर्क एक समान होगा। इसके अलावा भारतीय शिक्षण संस्थानों में भी छात्र पढ़ाई के बीच में किसी भी एरिया या कोर्स का विकल्प चुनते हैं तो उन्हें दिक्कत नहीं होगी।

इस बदलाव को लेकर देशभर के विश्वविद्यालय के कुलपतियों को जानकारी दी गई है। यूनिवर्सिटियों के कुलपति व कॉलेज के प्रिंसिपल्स के साथ यूजीसी की एक बैठक हुई है। ऐसी तीन और बैठकें जल्द होंगी, ताकि यह फ्रेमवर्क लागू करने में कोई परेशानी न हो। इससे उच्च शिक्षा में स्कूल शिक्षा की तर्ज पर किसी संस्थान से छात्र किसी भी पाठ्यक्रम में आ-जा सकेंगे। इस नए प्रावधान के लागू होने के बाद उच्च शिक्षा के छात्रों का मूल्यांकन भी केवल सीखने के परिणामों के आधार पर किया जाएगा।

दरअसल अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद( एआईसीटीई) और कौशल विकास मंत्रालय के नेशनल स्किल क्वालिफिकेशन फ्रेमवर्क भी 4.5 से 8 लेवल का है। छात्रों को संयुक्त डिग्री प्रोग्राम, ड्यूल डिग्री के अलावा बहुविषयक कोर्स में दाखिला लेना आसान हो जाएगा। क्वालिफिकेशन फ्रेमवर्क का लेवल अलग-अलग होने के चलते छात्र-छात्राएं ड्यूल डिग्री, बहुविषयक कोर्स में दाखिला नहीं ले सकते थे। हालांकि अब छात्रों के लिए यह दाखिला लेना आसान हो जाएगा। इस बदलाव की नीति को लागू करने से पहले केंद्र, यूजीसी, राज्यों, विश्वविद्यालयों के कुलपतियों, तकनीकी कॉलेज और अन्य कॉलेज के प्रिंसिपल के साथ चर्चा हुई है।

यूजीसी चैयरमेन प्रोफेसर एम जगदीश कुमार ने बताया कि देशभर की उच्च शिक्षा में अब लनिर्ंग आउटकम पर एक आधारित समान क्वालिफिकेशन फ्रेमवर्क होगा। इससे स्टूडेंट्स को सबसे अधिक लाभ होगा। वे किसी भी प्रोग्राम में आ-जा सकेंगे स्कूलों की तर्ज पर उच्च शिक्षा में भी स्टूडेंट्स का हर वर्ष लनिर्ंग आउटकम के आधार पर मूल्यांकन होगा। इसमें कौशल, नॉलेज परीक्षा से मूल्यांकन होगा। इसका मकसद स्टूडेंट्स का डिग्री प्रोग्राम, कोर्स के आधार पर मूल्यांकन करना है कि उनमें सीखने की क्षमता कितनी है। इसमें छात्रों को रोजगार का अवसर भी मिलेगा।

यूजीसी चैयरमेन प्रोफेसर जगदीश कुमार का कहना है कि इस पॉलिसी के बाद विदेशी विश्वविद्यालयों से दोहरी डिग्री और संयुक्त डिग्री संबंधित पाठ्यक्रमों में दाखिला संबंधी कोई समस्या नहीं होगी। इससे उच्च शिक्षा में क्वालिफिकेशेन फ्रेमवर्क एक समान होगा। दरअसल शैक्षणिक सत्र 2022-23 से उच्च शिक्षा में बड़ा बदलाव हो रहा है। अब मल्टीपल एंट्री एग्जिट सिस्टम के जरिए ऐसे छात्रों को विशेष लाभ मिलेगा जिन्हें किन्ही कारणों से पढ़ाई बीच में ही छोड़नी पड़ी। एक निश्चित समय के उपरांत किसी पाठ्यक्रम को छोड़ने पर छात्रों को डिप्लोमा प्राप्त होगा, जबकि उसी पाठ्यक्रम को पूर्ण कर लेने पर विश्वविद्यालय डिग्री प्रदान करेगा। इसके अलावा किसी भी स्ट्रीम के छात्र अपनी पसंद के विषय चुनने के लिए स्वतंत्र होंगे। मसलन इंजीनियरिंग अथवा विज्ञान के छात्र यदि चाहें तो उन्हें संगीत की शिक्षा भी प्रदान की जा सकेगी।

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