मीरजापुर : पांच सितारा सुविधाओं से युक्त क्रूज एमवी राजमहल बुधवार को गंगा की लहरों पर तैरते हुए वाराणसी से चुनार पहुंचा। शाही वैभव वाले इस दो मंजिले राजमहल पर सवार होकर कुल 15 ब्रिटिश, ऑस्ट्रेलियाई और दो एनआरआई पर्यटक चुनार (Chunar) पहुंचे और चुनार किले के वैभव को देखा और सोनवा मंडप की पत्थर कला को देखा। चुनार किला, सोनवा मंडप और रानी के झरोखे की पत्थर की नक्काशी देखकर पर्यटक बोले, ‘वंडरफुल’।
सभी पर्यटकों के साथ आए गाइड अखिलेश ने पुरातात्विक दृष्टि से ऐतिहासिक चुनार (Chunar) किले के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी दी, जिसे सभी ने ध्यान से सुना। इसके बाद चुनार डाक बंगले से गंगा का नजारा देख विदेशी मेहमान मंत्रमुग्ध हो गए। पर्यटकों के दल ने चुनार (Chunar) की मिट्टी की कला को देखा। दरगाह में कालीन और कालीन बुनकरों से भी मुलाकात की और कालीन बुनाई को लाइव देखा और उनके हुनर के बारे में जानकारी ली।
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विदेशी मेहमानों ने उत्साहपूर्वक सोनवा मंडप सहित किले के हर कोने को स्मृति चिन्ह के रूप में अपने कैमरे में कैद किया। उनके चेहरे के भाव और बातचीत बता रही थी कि उन्हें चुनार किला (Chunar) कितना पसंद आया। योगिराज भर्तृहरि की समाधि के पास जाकर दर्शन करने के दौरान दुभाषिया एवं मार्गदर्शक अखिलेश कुमार द्वारा दी गई जानकारी को जानने-समझने के बाद उनके चेहरों पर सुखद भाव नजर आए। बावली और उसका आकार-प्रकार भी उनकी चर्चा के केंद्र में रहा। यहां से सभी लोग किले के दक्षिणी ओर स्थित ब्रिटिश कब्रिस्तान पहुंचे, जहां ब्रिटिश काल में दफन अंग्रेजों की कब्रों को देखने के बाद अपने गाइड से विस्तार से जाना और समझा। इसके बाद टीम के सदस्यों ने दरगाह शरीफ मोहल्ले में दरी और कालीन की बुनाई देखी।
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