विदेश मंत्रालय ने कहा- पन्नू की हत्या में भारतीय का नाम आना चिंता का विषय

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नई दिल्लीः विदेश मंत्रालय (Foreign Ministry) ने खालिस्तानी आतंकवादी गुरुपतवंत सिंह पन्नू की हत्या की कथित साजिश में एक भारतीय नागरिक के खिलाफ अमेरिकी अदालत में दायर आरोप पत्र को गंभीर मामला बताया है। विदेश मंत्रालय की ओर से साफ किया गया है कि यह भारत की नीति नहीं है।

सरकारी नीति के विपरीत

गौरतलब है कि अमेरिका के न्यूयॉर्क कोर्ट में भारतीय नागरिक निखिल गुप्ता पर भाड़े के हत्यारे के जरिए खालिस्तानी आतंकी पन्नू की हत्या की साजिश रचने का आरोप लगाया गया है। हत्या में भारत सरकार के एक अधिकारी पर भी शामिल होने का आरोप लगाया गया है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने गुरुवार को एक संवाददाता सम्मेलन में कहा कि कथित तौर पर एक भारतीय अधिकारी से जुड़े एक व्यक्ति (निखिल गुप्ता) के खिलाफ अमेरिकी अदालत में मामला दायर किया गया है। यह चिंता का विषय है हमने कहा है कि यह सरकारी नीति के भी उलट है।

प्रवक्ता ने आगे कहा कि अंतरराष्ट्रीय संगठित अपराध, नशीली दवाओं और हथियारों की तस्करी और आतंकवादियों के बीच सांठगांठ भी कानून प्रवर्तन एजेंसियों के लिए गंभीर चिंता का विषय है। यही कारण है कि मामले की जांच के लिए एक उच्च स्तरीय समिति का गठन किया गया है, जिसके नतीजों के आधार पर आगे कदम उठाया जाएगा।

कनाडा के प्रधानमंत्री ने भारत पर लगाया आरोप

उन्होंने कहा कि ऐसे सुरक्षा मामलों से जुड़ी अधिक जानकारी साझा नहीं की जा सकती। भारतीय नागरिक निखिल गुप्ता को अमेरिकी सूचना पर 30 जून को चेक गणराज्य में गिरफ्तार किया गया था। गुप्ता पर लगे आरोपों के आधार पर उन्हें 20 साल की जेल की सजा हो सकती है।

मामले का उल्लेखनीय पहलू यह है कि अमेरिका में जिस भाड़े के हत्यारे से संपर्क किया गया था, वह अमेरिकी संघीय पुलिस का मुखबिर था। उनकी जानकारी के आधार पर अमेरिकी पुलिस ने कथित साजिश की जांच शुरू की और पूरी बिसात बिछा दी। इसी जांच के दौरान कनाडा में एक और खालिस्तानी आतंकी हरदीप सिंह निज्जर मारा गया। इसके बाद कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने भारत पर निज्जर की हत्या का आरोप लगाया।

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कनाडा के विषय पर भारत ने कहा कि जहां तक ​​कनाडा का सवाल है, उसने लगातार भारत विरोधी चरमपंथियों और हिंसा को जगह दी है। यही मुद्दे की जड़ है, जिसका खामियाजा हमारे राजनयिक प्रतिनिधियों को भुगतना पड़ा है। हम उम्मीद करते हैं कि कनाडा सरकार राजनयिक संबंधों पर वियना कन्वेंशन के तहत अपने दायित्वों को पूरा करेगी। हमने अपने आंतरिक मामलों में भी हस्तक्षेप देखा है, जो स्पष्ट रूप से अस्वीकार्य है।

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