प्रदेश उत्तर प्रदेश Featured

बनारस की नैसर्गिक सुंदरता के कायल हुए विदेश मंत्री एस. जयशंकर, विकास कार्यों का लिया जायजा

वाराणसी: विदेश मंत्री डॉ एस जयशंकर ने रविवार को बदलते बनारस को नजदीक से देखा। दो दिवसीय दौरे के अन्तिम दिन विदेश मंत्री ने नमोघाट का अवलोकन किया। इसके बाद गंगा में नौकायन कर अन्य घाटों के नैसर्गिक सौंदर्य और विकास कार्यो का जायजा भी लिया। क्रूज पर सवार विदेश मंत्री ने उत्तर वाहिनी गंगा के अर्धचंद्राकार पथरीले घाटों को देखने के बाद काशी विश्वनाथ धाम की भव्यता और विस्तार को दोबारा देखा। इस दौरान उन्होंने महारानी अहिल्याबाई के विशाल मूर्ति पर पुष्प अर्पित कर उन्हें नमन किया। धाम में भ्रमण के बाद विदेश मंत्री काशी तमिल संगमम् के अन्तर्गत काशी विद्वत्परिषद् की ओर से आयोजित संगोष्ठी में भी शामिल हुए।

विश्वनाथ धाम कारिडोर के आडिटोरियम त्रयंम्बक हाल में बतौर मुख्य अतिथि शामिल विदेश मंत्री डॉ एस जयशंकर ने कहा कि काशी और तमिल के मंदिरों की देन है कि आज भी हिन्दू समाज अपने संस्कारों के साथ जुड़ा है। हमारे मंदिरों का योगदान समाज को जोड़ना है। देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने इसलिए इस तरह की योजना बनाई है। हम सब एक होकर राष्ट्रीय भावना को बढ़ावा दें। विदेश मंत्री ने कहा कि मंदिर हमारी परम्पराओं की पहचान है। विदेश मंत्री ने गोष्ठी में काशी विद्वत्परिषद् की परम्परा को सराहा।

विशिष्ट वक्ता विद्वत परिषद के महामंत्री प्रो. रामनारायण द्विवेदी ने कहा कि आज का जो विषय रखा गया है कि समाज एवं राष्ट्र के निर्माण में मन्दिरों का योगदान यह विषय ही अपने आप उत्तर दे रहा है। प्रो. रामनारायण ने कहा कि समाज के संस्कारों तथा हिन्दू धर्म सभ्यता संस्कृति को सुरक्षित रखकर हमारे पूर्वजों और ऋषियों ने इन मंदिरों को प्रयोग शाला के रूप में उपयोग किया। समाज के प्रत्येक क्षेत्र के लोगों को इन मंदिरों से जोड़ा। जब कभी कोई संकट राष्ट्र के सामने आया तो इन्हीं मंदिरों के प्रतिनिधियों ने उसको दूर किया।

ये भी पढ़ें..वीरेंद्र सचदेवा बने दिल्ली भाजपा के नए कार्यकारी अध्यक्ष, शीर्ष नेताओं...

तमिलनाडु के विशिष्ट वक्ता एम नाचियप्पन ने कहा कि तमिलनाडु के मंदिरों में आज भी हिन्दू धर्म सुरक्षित है। तमिल की जनता प्रधानमंत्री मोदी को धन्यवाद देती है। भारत में मंदिरों ने समाज को जोड़ने का काम किया है। विद्वत परिषद के अध्यक्ष पद्मभूषण प्रो वशिष्ठ त्रिपाठी ने कहा कि काशी तमिल संगमम् ने एक नया विश्वास समाज में खड़ा किया है। हमारे मंदिरों का योगदान राष्ट्र तथा समाज को एक साथ जोड़ कर सभी वर्गों के कल्याण हेतु अनुदान योजनाऐं देते हैं। मणिक्कवसग तंबीरन ने मंदिरों के निर्माण शैली तथा काशी के साथ तमिलनाडु के मंदिरों का योगदान तमिलनाडु समाज की भूमिका पर चर्चा की। पी चेल्लापांडियन ने भी मंदिरों के अवदान तथा समाज को जोड़ने की परम्परा को बताया। कार्यक्रम का संचालन प्रो. कृष्णकांत शर्मा, धन्यवाद ज्ञापन मंदिर के मुख्य कार्यपालक अधिकारी सुनील वर्मा ने दिया। गोष्ठी में काशी विश्वनाथ मंदिर न्यास के सदस्य पंं. दीपक मालवीय, पं रमण घनपाठी, काशी विद्वत परिषद के अंतर राष्ट्रीय संयोजक रमण त्रिपाठी, डा. शुकदेव त्रिपाठी आदि की उपस्थिति रही। गोष्ठी में अतिथियों का स्वागत पुष्प वर्षा, शहनाई और डमरू वादन से हुई।

(अन्य खबरों के लिए हमें फेसबुक और ट्विटर पर फॉलो करें व हमारे यूट्यूब चैनल को भी सब्सक्राइब करें)