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सीडीएस के बाद बोले विदेश मंत्री, लद्दाख में ठीक नहीं हैं हालात

 

नई दिल्लीः लद्दाख पर चल रहे भारत और चीन के सीमा विवाद पर सीडीएस विपिन रावत के बाद अब विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने स्थित को गंभीर बताया है। उन्होंने कहा कि 1962 के बाद यह पहला मौका है जब लद्दाख में हमारे सैनिक शहीद हुए हैं। एलएसी पर बहुत अधिक संख्या में दोनों देशों की सेनाएं तैनात हैं।

सीमा पर भारत का रुख साफ करते हुए विदेश मंत्री ने कहा कि चीन के साथ सीमा विवाद के समाधान में यथास्थिति में एकतरफा बदलाव नहीं होना चाहिए। समाधान में हर समझौते का सम्मान होना चाहिए।

उन्होंने कहा कि अगर पिछले एक दशक को देखें तो चीन के साथ कई बार सीमा विवाद उभरा है- डेपसांग, चूमर और डोकलाम। कुछ हद तक हर सीमा विवाद अलग तरह का रहा। मौजूदा विवाद भी कई मायनों में अलग है। हालांकि, सभी सीमा विवादों में एक बात जो निकलकर आती है वो ये है कि समाधान कूटनीति के जरिए ही किया जाना चाहिए।

विदेश मंत्री ने आगे कहा कि जैसा कि आपको पता है कि हम चीनी पक्ष से सैन्य और कूटनीतिक दोनों चैनलों के जरिए बातचीत कर रहे हैं। दोनों चीजें साथ-साथ चल रही हैं। भारत-चीन के संबंधों के भविष्य को लेकर जयशंकर ने कहा कि दोनों देश मिलकर काम करें तो ये सदी एशिया की होगी। हालांकि, तमाम रुकावटों की वजह से इन कोशिशों को झटका लग सकता है। ये रिश्ता दोनों देशों के लिए बेहद अहम है। इसमें कई समस्याएं भी हैं और मैं इस बात को स्वीकार करता हूं। यही वजह है कि किसी भी रिश्ते में रणनीति और विजन दोनों जरूरी है।

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गौरतलब है कि इससे पहले, चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) जनरल बिपिन रावत ने कहा था कि चीन के साथ अगर बातचीत फेल हुई, तो भारत के पास सैन्य विकल्प मौजूद है। रावत ने कहा था कि पूर्वी लद्दाख में चीनी पीपल्स लिबरेशन आर्मी द्वारा किए गए अतिक्रमण से निपटने के लिए भारत के पास एक सैन्य विकल्प मौजूद है, लेकिन इसका इस्तेमाल तभी किया जाएगा जब दोनों देशों की सेनाओं के बीच बातचीत और राजनयिक विकल्प निष्फल साबित हो जाएंगे।