देश Featured

विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने बताया गलवान झड़प के बाद कैसे हैं भारत-चीन के रिश्ते

  न्यूयॉर्कः अमेरिका में संयुक्त राष्ट्र महासभा को संबोधित करने के बाद विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा कि 2020 में गलवान घाटी में हुई झड़प के बाद भारत और चीन के बीच रिश्ते सामान्य नहीं हैं और ऐसा लगता है कि यह मुद्दा उम्मीद से ज्यादा लंबा खिंच सकता है। विदेश संबंध परिषद में भारत-चीन संबंधों को लेकर पूछे गए एक सवाल पर उन्होंने कहा कि अगर दुनिया के दो सबसे बड़े देशों के बीच इस हद तक तनाव है तो जाहिर है कि इसका असर सभी पर पड़ेगा।

उच्च स्तर का सैन्य तनाव

जयशंकर ने कहा कि जिस देश ने कई बार समझौते तोड़े हों, उसके साथ रिश्ते सामान्य करने की कोशिश करना बहुत मुश्किल है। इसलिए यदि आप पिछले तीन वर्षों पर नजर डालें तो यह कोई सामान्य स्थिति नहीं है। उन्होंने कहा कि दोनों देशों के बीच रिश्ते ख़राब हो गए हैं और यात्राएं नहीं हो रही हैं। हमारे बीच निश्चित रूप से उच्च स्तर का सैन्य तनाव है। विदेश मंत्री ने दिल्ली और बीजिंग के बीच संबंधों पर ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य को रेखांकित किया और कहा कि यह कभी आसान नहीं रहा। उन्होंने कहा कि 1962 में युद्ध हुआ था। उसके बाद सैन्य घटनाएं हुईं। लेकिन 1975 के बाद सीमा पर लड़ाई में कभी कोई हताहत नहीं हुआ। उन्होंने कहा कि भारत ने 1988 में संबंधों को और सामान्य किया, जब तत्कालीन प्रधान मंत्री राजीव गांधी ने चीन का दौरा किया। उन्होंने कहा कि 1993 और 1996 में भारत ने सीमा स्थिरता के लिए चीन के साथ दो समझौते किये, जो विवादित हैं। उन मुद्दों पर बातचीत चल रही है।

वास्तविक नियंत्रण रेखा की तरफ बढ़ रहे थे चीनी सैनिक

उन्होंने कहा कि इस बात पर सहमति बनी है कि भारत और चीन वास्तविक नियंत्रण रेखा पर सैनिक एकत्र नहीं करेंगे और यदि कोई भी पक्ष एक निश्चित संख्या से अधिक सैनिक लाता है तो वह दूसरे पक्ष को सूचित करेगा। उन्होंने कहा कि इसके बाद कई समझौते हुए और यह एक आदर्श स्थिति थी जिसमें सीमावर्ती क्षेत्रों में दोनों पक्षों के सैनिक अपने निर्धारित सैन्य अड्डों से बाहर निकलेंगे, अपनी गश्त करेंगे और अपने ठिकानों पर लौट आएंगे। 2020 में, जब भारत COVID-19 लॉकडाउन से गुजर रहा था, हमने देखा कि बड़ी संख्या में चीनी सैनिक वास्तविक नियंत्रण रेखा की ओर बढ़ रहे थे। उन्होंने कहा कि इसे देखते हुए हमने सीमा पर अपनी मौजूदगी बढ़ाई और जवाबी तैनाती की। तब हमारी चिंता स्वाभाविक थी क्योंकि दोनों देशों के सैनिक बहुत करीब आ गये थे। हमने चीनियों को चेतावनी दी थी कि ऐसी स्थिति समस्याएँ पैदा कर सकती है और फिर जून 2020 के मध्य में ठीक वैसा ही हुआ। गलवान में दोनों देशों के बीच झड़प हुई थी। मंत्री ने कहा कि उन्होंने जो किया है, उससे एक तरह से रिश्ते पर पूरी तरह असर पड़ा है। उन्होंने समझौते तोड़े हैं।

भारत लगातार बना रहा रिकॉर्ड

विदेश मंत्री ने कहा कि अगले 25 वर्षों में भारत एक विकसित राष्ट्र के साथ-साथ अपने स्वर्णिम युग में एक वैश्विक शक्ति बनने का प्रयास करेगा। उन्होंने कहा कि भारत अब दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है। अब भारत हर दिन सफलता के नए आयाम स्थापित कर रहा है। उन्होंने कहा कि हमने पिछले कुछ वर्षों में देखा है कि विश्व राजनीति का स्वरूप बदल गया है। प्रौद्योगिकी और ऊर्जा सहित मुद्दे अब बदल गए हैं। भारत लगातार विकास की राह पर आगे बढ़ रहा है। उन्होंने कहा कि विश्व राजनीति और अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था बदल रही है और हम इसमें सबसे आगे हैं। यह भी पढ़ेंः-Chandrapur Accident: चंद्रपुर में तेज रफ्तार ट्रक ऑटो पर पलटा, 4 लोगों की मौत जयशंकर ने कहा कि भारत और रूस के बीच संबंध बहुत स्थिर बने हुए हैं और हम यह सुनिश्चित करने के लिए बहुत सावधानी बरतते हैं। उन्होंने कहा कि फरवरी 2022 में शुरू हुए रूस-यूक्रेन युद्ध के कारण रूस के यूरोप और पश्चिमी देशों के साथ संबंधों पर इतना गंभीर प्रभाव पड़ा है कि वह अब एशिया और दुनिया के अन्य हिस्सों की ओर अपना हाथ बढ़ा रहा है। उन्होंने कहा कि दोनों देशों के बीच संबंध सोवियत काल से ही हैं और अब भी बरकरार हैं।

मणिपुर में भी सुधर रहे हालात

वहीं, विदेश मंत्री ने मणिपुर के हालात पर कहा कि कानून व्यवस्था में सुधार हो रहा है। राज्य और केंद्र सरकारें हालात को पटरी पर लाने का रास्ता ढूंढने की कोशिश कर रही हैं। सामान्य स्थिति और भाईचारे की भावना होनी चाहिए। वहां तनाव तो है, लेकिन उनका एक लंबा इतिहास है और लंबे समय से बना हुआ है। अन्य खबरों के लिए हमें फेसबुक और ट्विटर पर फॉलो करें व हमारे यूट्यूब चैनल को भी सब्सक्राइब करें)