संतान की लंबी आयु के लिए माताएं करती हैं हलषष्ठी व्रत, जानें शुभ मुहूर्त

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नई दिल्लीः हिंदू पंचांग के अनुसार हर साल भाद्रपद के कृष्ण पक्ष की षष्ठी तिथि को भगवान श्रीकृष्णजी के बड़े भाई बलराम के जन्मोत्सव के उपलक्ष्य में बलराम जयंती मनाई जाती है। देश के अलग-अलग हिस्सों में हलषष्ठी को कई अलग-अलग नामों से जाना जाता है। इसे लह्ही छठ, हर छठ, हल छठ, पीन्नी छठ या खमर छठ भी कहा जाता है। भगवान बलराम का मुख्य शस्त्र हल और मूसल है इसलिए उन्हें हलधर भी कहा जाता है एवं उन्हीं के नाम पर इस पर्व का नाम हल षष्ठी पड़ा है। हल को शस्त्र के रूप में भगवान बलराम के द्वारा धारण करने के कारण हलषष्ठी व्रत की पूजा में बिना हल जोते पैदा होने वाले अनाज का भोग लगाकर पूजा किये जाने की परंपरा है।

हलषष्ठी व्रत का शुभ मुहूर्त
भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की षष्ठी तिथि का प्रारंभ-16 अगस्त, मंगलवार को रात 8 बजकर 17 मिनट से शुरू।
भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की षष्ठी तिथि का समापन-17 अगस्त को रात 08 बजकर 24 मिनट तक। उदया तिथि के आधार पर 17 अगस्त को हल षष्ठी व्रत रखा जाएगा।

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हलषष्ठी व्रत का महत्व
हिंदू धर्म की मान्यताओं के अनुसार हलषष्ठी व्रत संतान की लंबी आयु और स्वास्थ्य के लिए रखा जाता है। इस दिन महिलाएं अपने संतान की सुखमय जीवन के लिए निर्जला व्रत करती हैं और भगवान बलराम और हल की पूजा करती हैं। इस व्रत के करने से परिवार में सुख-संपदा की भी प्राप्ति होती है।

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