पाला-शीतलहर से सब्जियों की फसल को बचाने के लिए अपनायें ये तरीके, वरना उठाना पड़ेगा नुकसान

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कानपुरः मौसम में तेजी से बदलाव हो रहा है रोजाना तापमान भी गिर रहा है जिससे लगातार सर्दी बढ़ती ही जा रही है। ऐसे में जल्द ही पाला पड़ने की संभावना है और पाला पड़ने से सबसे अधिक सब्जियों की फसल को नुकसान होता है। फसलों को पाला से बचाने के लिए गंधक का छिड़काव करना चाहिये। यह बातें गुरुवार को चन्द्रशेखर आजाद कृषि प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के मौसम वैज्ञानिक डॉ. एस एन सुनील पाण्डेय ने कही। उन्होंने बताया कि प्रायः पाला पड़ने की आशंका एक जनवरी से 10 जनवरी तक अधिक रहती है। जब आसमान साफ हो, हवा न चल रही हो और तापमान कम हो जाये तब पाला पड़ने की आशंका बढ़ जाती है। पाला गेहूं और जौ में 10 से 20 प्रतिशत तथा सरसों, जीरा, धनिया, सौंफ, अफीम, मटर, चना, गन्ने में लगभग 30 से 40 प्रतिशत तक तथा सब्जियों में जैसे टमाटर, मिर्ची, बैंगन आदि में 40 से 60 प्रतिशत तक लगभग नुकसान कर सकता है। इस तरह फसलों का पाला से करें बचाव-

गंधक के तेजाब का करें छिड़काव
सरसों, गेहू, चावल, आलू, मटर जैसी फसलों को पाले से बचाने के लिए गंधक का छिड़काव करने से न केवल पाले से बचाया जा सकता है। बल्कि इससे पौधों में लौह तत्व एवं रासायनिक तत्व भी बढ़ जाते है, जो पौधों में रोगो से लड़ने की क्षमता एवं फसल को जल्दी पकने में सहायक होते है। बारानी फसल में जब पाला पड़ने की आशकां हो तो पाले की आशंका वाले दिन फसल पर गधंक के तेजाब का 0.1 प्रतिशत का छिड़काव करें। इस प्रकार इसके छिड़काव से फसल के आसपास के वातावरण में तापमान बढ़ जाता है और तापमान जमाव बिंदु तक नहीं गिर पाता है, इससे पाले से होने वाले नुकसान से फसल को बचाया जा सकता है। छिड़काव का असर 10 से 15 दिन तक रहता है।

पौधों को ढककर रखें
पाले से सबसे अधिक नुकसान नर्सरी में होता है। नर्सरी में पौधों को रात में प्लास्टिक की चादर से ढकने की सलाह दी जाती है। ऐसा करने से प्लास्टिक के अंदर का तापमान दो-तीन डिग्री सेल्सियस बढ़ जाता है। इससे सतह का तापमान जमाव बिंदु तक नहीं पहुंच पाता और पौधे पाले से बच जाते हैं, लेकिन यह महंगी तकनीक है। गांव में पुआल का इस्तेमाल पौधों को ढकने के लिए किया जा सकता है। पौधों को ढकते समय इस बात का ध्यान जरूर रखें कि पौधों का दक्षिण-पूर्वी भाग खुला रहे, ताकि पौधों को सुबह व दोपहर को धूप मिलती रहे। पुआल का प्रयोग दिसंबर से फरवरी तक ही करें। नर्सरी पर छप्पर डालकर भी पौधों को खेत में रोपित करने पर पौधों के थावलों के चारों ओर कड़बी या मूंज की टाटी बांधकर भी पौधों को पाले से बचाया जा सकता है।

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वायुरोधक द्वारा करें बचाव
पाले से बचाव के लिए अगर सम्भव हो सके तो खेत के चारों ओर मेड़ पर पेड़-झाड़ियों की बाड़ लगा देनी चाहिए जाती है। लेकिन बड़े खेत के लिए यह महंगा साबित हो सकता है ऐसा करने से शीतलहर द्वारा होने वाले नुकसान से बचा जा सकता है। अगर खेत के चारों ओर मेड़ पर पेड़ों की कतार लगाना संभव न हो तो कम से कम उत्तर-पश्चिम दिशा में जरूर पेड़ की कतार लगानी चाहिये, जो इस दिशा में आने वाली शीतलहर को रोकने का काम करेगी। पेड़ों की कतार की ऊंचाई जितनी अधिक होगी शीतलहर से सुरक्षा उसी के अनुपात में बढ़ती जाती है।

न्यूट्रीशियन और फांगीसाइड का छिड़काव
इस समय माइक्रो न्यूट्रीशियन और फांगीसाइड का भी छिड़काव कर सकते है। इससे भी फसल को काफी राहत मिलेगी। आप सल्फर का भी छिड़काव 20-30 ग्राम प्रति 15 लीटर (कृषि विभाग या दवाई देने वाले दुकानदार से पूछ कर) के हिसाब से कर सकते है। खेत की सिंचाई के लिए बनी चारों तरफ की नालियों को पानी से भर देने से भी काफी राहत मिलती है।

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