नई दिल्ली: सफदरजंग अस्पताल में पहला सफल बोन मैरो ट्रांसप्लांट (बीएमटी) किया गया। मल्टीपल मायलोमा से पीड़ित एक 45 वर्षीय महिला का ऑटोलॉगस अस्थि मज्जा प्रत्यारोपण किया गया। इस प्रक्रिया में साइटोटॉक्सिक दवा की खुराक को सील के शरीर में इंजेक्ट करने से पहले सील के शरीर को संरक्षित किया जाता है। मरीजों की अस्थि मज्जा में लगभग 12 दिन का समय लगा है।
होना। यूनिट प्रभारी डॉ। कौशल कालरा और डॉ। सुमिता चौधरी ने बताया कि पिछले दो सप्ताह के मरीजों के लिए यह महत्वपूर्ण था, क्योंकि मरीज की बीमारी हल्की थी और संक्रमण का खतरा था। 1 मई, 2023 1 मई, 2023 1 मई 5 मई, 2023 मई 2023 मई 2023 मई 2023 या था। अब वह महिला पूरी तरह स्वस्थ है। जल्द ही मरीज को सफदरजंग अस्पताल से छुट्टी मिल जाएगी।
यह भी पढ़ें-फर्जी दस्तावेज लगाकर विधायक ने छुपाई उम्र! पूर्व मंत्री ने लगाए गंभीर आरोप
अस्पताल के चिकित्सक। विंडो स्वोर्ड्स ने बताया कि यह सभी केंद्रीय सरकारी वास्तविकताओं में से पहली है। यह सुविधा मल्टीपल मायलोमा, सिलिकोनिमा और अन्य हेम एट कैसेल दुर्दमताओं वाले समुद्र तट पर जाने वालों के लिए एक जीवन रक्षक प्रक्रिया है। डॉ। स्वोर्ड्स ने बताया कि प्राइवेट सेक्टर में बोन मैरो ट्रांसप्लांट का खर्च करीब 10-15 लाख है, लेकिन सफदरजंग एएसपी ताल में यह काफी कम खर्च पर है। गौरतलब है कि इस यूनिट का उद्घाटन इसी साल जून महीने में हुआ था।
(अन्य खबरों के लिए हमें फेसबुक और ट्विटर पर फॉलो करें व हमारे यूट्यूब चैनल को भी सब्सक्राइब करें)