नई दिल्लीः केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Union Finance Minister Nirmala Sitharaman) ने गुरुवार को कहा कि हम विवश हैं, लेकिन हमें यह स्वीकार करना होगा कि बहुपक्षीय संस्थाओं का योगदान लुप्त हो रहा है। इसलिए भारत को नए वैश्विक व्यवस्था में व्यापार, निवेश और रणनीतिक संबंधों को बढ़ावा देने के लिए अन्य देशों के साथ अपने द्विपक्षीय संबंधों को बढ़ाने की जरूरत है।
करने होंगे निरंतर प्रयास: Finance Minister
केंद्रीय वित्त मंत्री ने यहां आयोजित एक कार्यक्रम में कहा कि सरकार भारत को आगे ले जाने और इन “चुनौतीपूर्ण” समय में वैश्विक विकास का इंजन बनने के लिए सभी प्रयास कर रही है। उन्होंने कहा कि भारत को वैश्विक सुधार में सार्थक योगदान देने के साथ-साथ प्रति व्यक्ति आय के मामले में बढ़ने और वैश्विक विकास को गति देने वाला व्यावसायिक गंतव्य बनने के लिए निरंतर प्रयास करने होंगे।
तकनीक के क्षेत्र में भारत की स्थिति अच्छी
सीतारमण ने कहा कि हम विवश हैं, लेकिन हमें यह स्वीकार करना होगा कि बहुपक्षीय संस्थाओं का योगदान लुप्त हो रहा है। इसलिए भारत को न केवल व्यापार और निवेश के लिए, बल्कि रणनीतिक संबंधों के लिए भी अन्य देशों के साथ अपने द्विपक्षीय संबंधों को बढ़ाने की जरूरत है।
सीतारमण ने कहा कि राज्य भारत की बड़ी अर्थव्यवस्था का हिस्सा हैं, जो हमें आगे ले जाएंगे। इसलिए सुधार केवल केंद्र सरकार का एजेंडा नहीं हो सकता, हर राज्य सरकार को इसे गंभीरता से लेना होगा। उन्होंने कहा कि तकनीक के क्षेत्र में भारत की स्थिति बहुत अच्छी है। हम तकनीक के कई पहलुओं में अग्रणी हो सकते हैं। हमने दुनिया के सामने साबित कर दिया है कि जहां भी तकनीक के इस्तेमाल की बात आती है, हम इसे बड़ी आबादी के स्तर पर करते हैं।
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वित्त मंत्री ने कहा कि भारत उन मित्रों की भी मदद कर सकता है जिनके साथ हम अपने द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करना चाहते हैं। यह एक तरह का वैश्विक प्रौद्योगिकी समूह भी बना सकता है। उन्होंने कहा कि भारत के नेतृत्व में ऐसा समूह दुनिया में बड़ा बदलाव ला सकता है।
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