देश के पहले इलेक्ट्रिक हाईवे के अंतिम चरण का ट्रायल शुरू, दिल्ली से जयपुर के बीच बिना रुके फर्राटा भरेंगे वाहन

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नई दिल्लीः नेशनल हाइवे फॉर इलेक्ट्रिकल व्हिकल ने आज दिल्ली से जयपुर ई-हाइवे के लिए दूसरे और अंतिम चरण के ट्रायल रन की शुरूआत कर दी है। इसकी शुरूआत इंडिया गेट से की गई। इसमें 278 किलोमीटर हाईवे पर इलेक्ट्रिक बस और कार को एक महीने के लिए वहां लगे चार्जर और तकनीक के साथ ट्रायल किया जाएगा। नेशनल हाइवे फॉर इलेक्ट्रिकल व्हिकल ने पायलट प्रोजेक्ट के अंतर्गत 500 किलोमीटर के देश के पहले अंतरराज्यीय इलैक्ट्रिक हाइवे का 210 किलोमीटर का पहला चरण दिल्ली से आगरा तक 2020-2021 में पूरा किया था।

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500 किलोमीटर का ये इलेक्ट्रिक हाइवे उत्तर प्रदेश, दिल्ली, हरियाणा, और राजस्थान से गुजरेगा। पूरे सफर के दौरान यहां 20 चाजिर्ंग स्टेशन और 10 इंका डिपो बनाये जाने की तैयारी है। प्रोजेक्ट डायरेक्टर अभिजीत सिन्हा ने बताया कि 30 दिनों तक चलने वाले इस ट्रायल से रोड की वास्तविक स्थिति में इलेक्ट्रिक गाड़ियों का प्रदर्शन, जाम और बारिश जैसी विकट परिस्थितियों में समय और रेंज को सुनिश्चित कर के महीने भर में अधिकतम रिले डिप की संख्या भी निकाली जाएगी। अकेले दिल्ली जयपुर हाईवे पर 12 चाजिर्ंग स्टेशन बनाने की तैयारी की जा रही है।

अभिजीत सिन्हा ने बताया कि दिल्ली से आगरा के पिछले 210 किलोमीटर के तकनीकी ट्रायल के बाद आज 278 किलोमीटर के इस कमर्शियल ट्रायल से देश के पहले 500 किलोमीटर के इलेक्ट्रिक हाइवे बनने का रास्ता साफ हो जाएगा। उन्होंने बताया कि इस ट्रायल में प्रत्येक स्तर के भागीदारों के हितों को सुरक्षित किया जाता है, जिसमें इलेक्ट्रिक गाड़ियों के यूजर, इलेक्ट्रिक कार के यात्री स्टेशन, कैब सर्विस के आपरेटर स्टेशन और इंफ्रा के निवेशक तथा बैंक और राज्य एवं केंद्र सरकार प्रमुख है।

दिल्ली से जयपुर के लिए आज से शुरू हुए इस ट्रायल में 4 प्रमुख चीजों को परखा जाएगा। इलेक्ट्रिक बस में एक सीट का किराया, 1 इलेक्ट्रिक कार का एक दिन का किराया, 1 किलोमीटर नेशनल हाइवे को इलेक्ट्रिक हाइवे बनाने की लागत और 1 साल में इसपर चलने वाले प्रत्येक इलेक्ट्रिक वाहन से होने वाली बचत के साथ ही प्रदूषण में कमी अहम हैं।

जानकारी के मुताबिक पहले चरण के ट्रायल में सुनिश्चित किया गया था, कि 30 मिनट में इलेक्ट्रिक गाड़ियों को हाइवे पर आपातकालीन तकनीकी सहायता मिले, वाहन ऑपरेटर 30 प्रतिशत कम कीमत पर वाहन खरीद सकें और 3 साल में चाजिर्ंग स्टेशन में लगने वाली लागत वसूल की जा सके। आने वाले समय में दिल्ली-आगरा और दिल्ली-जयपुर हाईवे एक ई-हाईवे के रूप में विलय हो जाएंगे। इसके साथ ही यह सबसे लंबा इलेक्ट्रिक हाईवे हो जाएगा।

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