उत्तर प्रदेश

लखनऊ नगर निगम सदन में पार्षदों के बीच हुई हाथापाई, सुरक्षा पर उठे सवाल !

Lucknow: लखनऊ नगर निगम सदन में 28 फरवरी को हुए हंगामा ने सदन की सुरक्षा व्यवस्था पर तमाम सवाल उठा दिए हैं। सदन में सत्र के दौरान महापौर, नगर आयुक्त, कई अपर और सहायक नगर आयुक्त, विभागों के अधिकारी और पार्षद मौजूद रहते हैं। पत्रकार अपनी दीर्घा में बैठते हैं। जिस तरह से पार्षदों ने हाथापाई और शक्ति प्रदर्शन किया, उससे नगर निगम की सुरक्षा व्यवस्था तारतार हो गई। मूल विषय तो पीछे छूट गया, तमाम नए विवाद अब खड़े हो चुके हैं। सबसे बड़ा सवाल यह है कि एक पार्षद को सदन से खींचकर बाहर ले जाने वाले अन्य पार्षदों के पास क्या ऐसे अधिकार है?

जातिसूचक शब्दों का किया इस्तेमाल

सरोजनीनगर द्वितीय वार्ड के पार्षद नरेश रावत ने जब सफाई कंपनी को काम दिए जाने पर सवाल उठाए, तो उन्होंने ऑफर शब्द का इस्तेमाल किया। उन्होंने नगर आयुक्त से पूछा कि आपको कंपनी की ओर से कौन सा ऑफर मिला, जिससे आपने इनको काम दे दिया। विवाद यहीं से शुरू हुआ। पार्षद नरेश रावत ने इंडिया पब्लिक खबर को बताया कि मोंटी, गिरीश, रंजीत, अनुराग ने उनके साथ अभद्रता की। जातिसूचक शब्द इस्तेमाल किए। सदन से खींचते हुए बाहर लेकर जा रहे थे। पार्षद की टिप्पणी पर नगर आयुक्त भी दो बार काफी उत्तेजित हुए। ये भी पढ़ें..मथुरा Sri Krishna Janmabhoomi शाही ईदगाह मस्जिद विवाद, 13 मार्च को होगी हाईकोर्ट में अगली सुनवाई उन्होंने आई विल किल यू कहकर माहौल को गर्म बना दिया। पार्षद का कहना है कि महापौर ने भी उनको आपत्तिजनक बात कही। महापौर ने यह भी कहा कि वह नरेश रावत के कार्यां की जांच कराएंगी। सवाल यह है कि निगम के पास अपने बाउंसर होते हैं। निगम की अपनी व्यवस्था होती है। ऐसे में किसी पार्षद को खींचने या मारपीट का अधिकार कैसे दिया जा सकता है। निगम में हमेशा सत्र के दौरान बहसबाजी होती रहती है, लेकिन यह पहला मामला 2024 का व्यवस्थागत सवालों से जुड़ा है।

आई विल किल यू ...जैसे शब्दों का हुआ इस्तेमाल 

विवादों में आए पार्षद का कहना है कि उन्होंने ऑफर का शब्द नगर आयुक्त की ईमानदारी से नहीं जोड़ा, कहने का मतलब था कि कंपनी शहर को नई और बड़ी व्यवस्था क्या देगी? लेकिन इस बात को पूरी तरह से रखने का मौका दिया ही नहीं गया। सवाल यह भी है कि नगर आयुक्त अपनी ईमानदारी प्रदर्शित करने के लिए आई विल किल यू कैसे बोल सकते हैं? आरोप लगाने के बाद कम से कम पार्षद के शब्दों की मंशा जरूर पूछी जानी चाहिए थी। कांग्रेस की पार्षद ममता चौधरी ने बताया कि जो हुआ, अच्छा नहीं हुआ। रामनरेश के आरोप यह भी हैं कि पार्षदों ने उन्हें गाली दी और लात भी मारी। ममता चौधरी ने कहा यदि ऐसा हुआ तो अतिनिंदनीय है। बहरहाल, अब यह मामला तूल पकड़ने लगा है। चर्चा में आए पार्षद नगर आयुक्त और महापौर के खिलाफ अब कानून का सहारा लेने की तैयारी में है। (रिपोर्ट- शरद त्रिपाठी, लखनऊ) (अन्य खबरों के लिए हमें फेसबुक और ट्विटर(X) पर फॉलो करें व हमारे यूट्यूब चैनल को भी सब्सक्राइब करें)