लखनऊः किसानों को अगले सप्ताह कृषि प्रबंधन के लिए मौसम पूर्वानुमान तथा खेती-बाड़ी से संबंधित प्रमुख सुझाव दिए गए हैं। किसान इनका पूरा अध्ययन कर ही खेती-बाड़ी के लिए कदम बढ़ाएं। क्रॉप वेदर वॉच ग्रुप की ओर से यह जानकारी दी गई है। डॉ. संजय सिंह, महानिदेशक कृषि अनुसंधान परिषद ने किसानों से अपील की है कि वह इस समय धान की खेती (Paddy farming) पर पूरा फोकस करें। उत्तर प्रदेश कृषि अनुसंधान परिषद के वैज्ञानिक अधिकारी एवं मीडिया प्रभारी विनोद कुमार तिवारी से मिली जानकारी के अनुसार, आगामी सप्ताह के सभी दिनों में पश्चिमी पूर्वी बुंदेलखण्ड एवं उत्तर प्रदेश के सभी अंचलों में अनेक स्थानों पर हल्की तथा मध्यम वर्षा होने की संभावना है। कहीं तेज वर्षा, तो कहीं मध्यम के आसार हैं।
सामान्य से कम वर्षा क्षेत्रों में करें ये खेती
इस संबंध में किसानों से अपेक्षा की गई है कि जिन क्षेत्रों में सामान्य से कम वर्षा हुई है, उन क्षेत्रों में कृषक दलहनी, तिलहनी व श्रीअन्न फसलों की बुवाई प्राथमिकता के आधार पर करें। दलहनी फसलों का बीज यदि उपचारित नहीं है, तो संस्तुति अनुसार उपचारित कर फसल के विशिष्ट राइजोबियम कल्चर से अवश्य उपचारित करें। धान की रोपाई के लिए मौसम अनुकूल है, अतः कृषक रोपाई का कार्य यथाशीघ्र पूर्ण करें। धान की “डबल रोपाई या संडा प्लाटिंग“ के लिए दूसरी रोपाई पुनः पहले रोपे गए धान (Paddy farming) के तीन सप्ताह बाद 10 गुणे 10 सेमी की दूरी पर करें। रोपाई वाले खेत में एक फीट ऊंची मेड़़ बनाएं, ताकि वर्षा जल संचित कर लाभ लिया जा सके।
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धान की रोपाई के लिए खेत की तैयारी के समय 25 किग्रा प्रति हेक्टेयर दर से जिंक सल्फेट डालें। धान की तैयार पौध की रोपाई जहां तक संभव हो 04 ग्राम ट्राइकोडर्मा प्रति लीटर पानी की दर से अथवा 01 ग्राम कार्बेन्डाजिम प्रति लीटर पानी की दर से घोल बनाकर उपचारित करें। कीटनाशकों व कृषि रसायनों का प्रयोग कृषि वैज्ञानिकों या कृषि विभाग के अधिकारियों के परामर्श से ही करें।
3-4 सेमी की गहराई तक करें पौधों की रोपाई
प्रदेश के सभी अंचलों में वर्षा के दौरान आकाशीय बिजली या वज्रपात गिरने की संभावना को लेकर लोगों को जागरूक रहने तथा वर्षा के दौरान पेड़ों, टीन शेड एवं विद्युत पोलों आदि से दूर रहने तथा अपने मोबाइल में सचेत एप स्थापित, इंस्टाल करने पर सचेतक ध्वनि या अलार्म बजने पर अपने को सुरक्षित करें। रोपाई के बाद जो पौधे मर गए हों, उनके स्थान पर दूसरे पौधे तुरंत लगा दें ताकि प्रति इकाई पौधों की संख्या कम न होने पाए। पलेवा करके ड्रम सीडर से धान की शीघ्र पकने वाली किस्मों की 50 से 55 किग्रा प्रति हेक्टेयर बीज की दर से बुवाई करें। धान की 20-25 दिन वाली पौध की रोपाई प्रत्येक वर्गमीटर में 50-55 हिल तथा 2-3 पौधा प्रति हिल 3-4 सेमी की गहराई तक करें।
(रिपोर्ट- शरद त्रिपाठी, लखनऊ)
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