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सूखे से टक्कर लेने में जुटे राजधानी के किसान, कम पानी वाली सब्जियों की कर रहे बुवाई

लखनऊः मौसम की बेरूखी ने इस बार किसानों को काफी मायूस किया है और सूखे की आशंका के चलते वह काफी बेचैन हैं। मौसम विभाग के अनुमान भी सिर्फ हवा-हवाई ही साबित हुए, लेकिन किसान हाथ पर हाथ धरकर बैठना नहीं चाहते हैं। राजधानी के तमाम किसानों ने अपने खेतों में सब्जियों के बीज बोए हैं। इसके लिए उन्होंने बारिश के अलावा अन्य संसाधनों के जरिए चुने हैं। यद्यपि जुलाई और अगस्त माह मंे धान के साथ ही सब्जियों को ही ज्यादा महत्व दिया जाता है लेकिन अब गंभीर परिस्थितियों में जो फसल तैयार हो सकती है, उस पर ही किसानों का सारा ध्यान है। वैज्ञानिक भी कह रहे हैं कि कम समय में कम पानी वाली फसल पर फोकस करें और ज्यादा लाभ लेने की कोशिश करें। यह खरीफ फसलों की बुवाई का सीजन है, ऐसे में किसानों को सही समय पर फसल की बुवाई कर उससे बेहतर पैदावार का लक्ष्य बरकरार है। चंदरनगर में किसान मित्र, आलमबाग में बीज क्रय केंद्र, मोहनलालगंज में उन्नतशील बीज मिल रहे हैं। रहीमाबाद, काकोरी और मलिहाबाद में तो किसानों ने इंजन से सिंचाई के बाद सब्जी के बीज बोए हैं। यदि अगस्त के पहले सप्ताह तक जोरदार बारिश हो गई, तो तमाम दिक्कतें भी दूर हो जाएंगी। किसान इस बार ज्यादा खतरा नहीं लेना चाह रहे हैं। कारण है कि धान की फसल को अधिक पानी की आवश्यकता होती है, लेकिन अभी तक केवल सूखे से ही सामना हो रहा है। जिन जगहों पर पानी की व्यवस्था है, वहां धान की उन्नत किस्में वह भी दुकानदार की गारंटी पर खरीदे जा रहे हैं। इनमें पूसा 1460, डब्ल्यूजीएल 32100, पूसा सुगंध 3, एमटीयू 1010, आईआर 64, डीआरआर 310, डीआरआर 45 आदि किस्में अच्छी किस्में हैं। इसी तरह अरहर दलहन फसलों के अंतर्गत आने वाली फसल है। जुलाई या फिर अगस्त का पहला सप्ताह इसकी बोनी का समय है। ये भी पढ़ें..मौसम की मार, धान की फसल हुई बेजार, इस बार उत्पादन बुरी तरह होगी प्रभावित अरहर की खेती बारिश के मौसम की महत्वपूर्ण फसल है। हालंाकि, मुनाफे वाली इस फसल में तमाम उन्नत किस्मों में बीज बाजार में हैं, लेकिन इससे किसानों ने पूरी तरह से दूरियां बना रखी हैं। इसके अलावा सब्जियांे की बोनी किसानों ने अपनी समझदारी से तमाम जगहों पर की है। अनारा गांव के बुजुर्ग किसान धनशेर यादव और मलिहाबाद के किसान देशराज यादव का कहना है कि सब्जिया तो खाने को मिलेंगी ही, सूखे से सामना पहली बार नहीं हो रहा है। किसान इस संकट से निपटना जानता है। बीज बोए जा चुके हैं और पौधे भी तैयार हो रहे हैं। (अन्य खबरों के लिए हमें फेसबुक और ट्विटर पर फॉलो करें व हमारे यूट्यूब चैनल को भी सब्सक्राइब करें)