लखनऊः भारत सरकार की परंपरागत कृषि विकास योजना को बढ़ावा देने के लिए बख्शी का तालाब स्थित राजकीय बीज भंडार के माध्यम से 50-50 के क्लस्टर बनाकर किसानों को प्रशिक्षित किया जा रहा है। किसानों को मॉडल आधारित ऑर्गेनिक क्लास स्टडी कराई गई। इस काम के लिए कई वैज्ञानिक लगाए गए हैं।
बख्शी का तालाब क्षेत्र में चंद्रभानु गुप्त कृषि स्नातकोत्तर महाविद्यालय के कृषि विशेषज्ञ डॉ. सत्येंद्र कुमार सिंह जैविक खेती की आधुनिक तकनीक के बारे में जानकारी दे रहे हैं। वह किसानों को मोटे अनाजों की खेती के लाभ दे रहे हैं। क्षेत्र के किसान लगातार सीख रहे हैं कि मोटे अनाज में पोषण भरपूर होते हैं। खनिज पदार्थ एवं मिनरल्स के कारण आज दुनिया के लोग इसे अपनाने लगे हैं। सीमित साधनों में इनसे अच्छा मुनाफा कमाया जा सकता है। इसमें कम सिंचाई एवं कम खाद की आवश्यकता होती है। किसानों को प्रमुख रूप से बाजरा, रागी, कंगनी, कोदो, सावां, कुटकी एवं चना की खेती की तकनीकी बताई जा रही है।
चंद्रभानु गुप्त कृषि महाविद्यालय के पादप रोग विज्ञान विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. योगेंद्र कुमार सिंह ने मशरूम की खेती पर प्रशिक्षण का बीड़ा उठाया है। वह लगातार किसानों को ऐसी खेती की जानकारी दे रहे हैं। क्षेत्र में ही डॉ. सुधीर कुमार रघुवंशी ने बरबरी बकरी पालन की तकनीकियां हाल में ही किसानों को बताईं। अभी वह ऐसे तमाम किसानों को बकरी पालन का प्रशिक्षण देंगे, जो इसमें रूचि रखते हैं। बीते दिनों यहां किसानों को गौमूत्र आधारित जैविक खाद एवं मटका खाद बनाने की विधि भी बताई गई।
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महाविद्यालय के मृदा विज्ञान विभाग के सहायक आचार्य डॉ. धर्मेश कुमार सिंह केंचुआ खाद बनाने माहिर हैं। लोगों ने इनसे केंचुआ खाद बनाने की विधियां सीखीं। राजकीय बीज भंडार के अधीक्षक प्रमोद यादव ने परंपरागत कृषि विकास योजना के एक्शन प्लान पर बताया कि जैविक खेती के लिए 400 हेक्टेयर भूमि का क्लस्टर बनाया गया है। इसमें 50-50 किसानों के 20 क्लस्टर पंजीकृत कराए जा रहे हैं। प्रमुख रूप से इन्हें एक ड्रम, एक स्प्रेयर, एक बाल्टी एक मग्गा, 05 किलो वेस्ट डीकंपोजर तथा 500 ग्राम तरल पदार्थ दिया जा रहा है। जिसमें 4,750 रूपए किसान के खाते में सब्सिडी दी जा रही है।
– शरद त्रिपाठी की रिपोर्ट
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