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मधुमक्खी पालन से आत्मनिर्भर बन रहे यहां के किसान, रोजगार का भी हो रहा सृजन

मोतिहारीः बिहार में पूर्वी चंपारण जिले के किसान परंपरागत खेती से अलग लगातार मधुमक्खी पालन (honey bee keeping) से जुड़ रहे है। इसकी वजह से पूर्वी चंपारण जिला शहद उत्पादन के मामले रिकार्ड कायम करने की ओर अग्रसर है। बाढ़-सूखा और प्रकृति के मार से परेशान यहां के किसान मधुमक्खी पालन से जुड़कर आर्थिक रूप न केवल मजबूत हो रहे है बल्कि बडी संख्या मे रोजगार का भी सृजन कर रहे है।

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जिले में आम लीची के बागों के साथ खेत के मेंड पर भी इस साल काफी संख्या में मधुमक्खी बॉक्स (honey bee keeping) रखा हुआ मिला है।इस कार्य में न केवल किसान बल्कि ग्रामीण क्षेत्रों के विभिन्न जीविका समूहों की भागीदारी देखी जा रही है।एक अनुमान के अनुसार इस साल जिले के आम लीची के बागों में करीब 60 से 70 हजार मधुमक्खी बॉक्स लगाए गए है।जिससे सात लाख टन तक शहद उत्पादन का अनुमान है।

शहद उत्पादक किसान हरिश्चंद्र ठाकुर ने हिन्दुस्थान समाचार से बातचीत में बताया कि मधुमक्खी के एक बॉक्स से प्रत्येक आठ दिन पर 9 से 10 किलो शहद का निकलता है।मधुमक्खी पालन का सबसे उपयुक्त समय रबी मौसम होता है।क्योंकी इस समय सरसों राई मसूर एवं तीसी के फूल के साथ आम लीची के बाग में मंजर भी आते है। जिससे मधुमक्खी ज्यादा रस ग्रहण करती हैं।

मधुमक्खी पालक (honey bee keeping) किसानों ने बताया परंपरागत खेती से जहां औसतन पचास हजार रुपये सालाना मिलता है,वहीं मधुमक्खी पालन से सालाना दो लाख की आमदनी हो रही है। किसानों ने बताया कि जिले में शहद को खरीदने के लिए अब तक कोई बड़ी कंपनी ने उत्सुकता नही दिखायी है।अगर खरीददार मिल जाए तो आमदनी और बढ़ सकती है। मधुमक्खी पालन के लिए सर्वाधिक बाॅक्स जिले के मेहसी,चकिया,मधुबन प्रखंड में लगाये गये है।इसके साथ ही जिले के अन्य प्रखंडों में भी बॉक्स लगाए गये हैं।

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