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रंग दिखाने लगी है किसानों की मेहनत, क्रय केंद्रों से 42,957 मीट्रिक टन बाजरे की हुई खरीद

लखनऊः प्रधानमंत्री का मोटे अनाज के प्रति लगाव अब खेतों में भी दिखने लगा है। आत्मनिर्भर भारत बनाने में सबसे ज्यादा भूमिका किसानों की हो सकती है, इसके लिए खेती को और समृद्धिवान बनाया जा रहा है। पिछले साल की किसानों की मेहनत और सरकार की योजनाएं भी अब रंग लाने लगी हैं। आंकड़े बता रहे हैं कि पिछले साल की अपेक्षा इस बार की खेती बेहतर हुई है और जिन फसलों के जरिए किसानों को आर्थिक रूप से मजबूत बनाया जा सकता है, उनकी उपज भी बढ़ रही है। प्रदेश सरकार ने 18 जनपदों में 97 बाजरे के क्रय केंद्रों द्वारा 42,957 मीट्रिक टन बाजरे की खरीद भी की है।

कभी खेतों में जौ, मक्का, अलसी और बाजरा जैसी फसलें लहलहाती थीं, लेकिन गेहूं की खपत के आगे सबका जायका फीका पड़ गया। परिणाम यह रहे कि मोटे अनाज के रूप में मशहूर जौ, बाजरा, मक्का और अलसी जैसी फसलों के प्रति किसानों का मोहभंग हो गया। यद्यपि आज भी इन अनाजों की कीमत ज्यादा है। दलहन और तिलहन में भी इनका काफी योगदान रहा करता था इसीलिए सरकार ऐसे विकल्प बना रही है, जो किसानों की आय को बढ़ा सकें। केंद्र सरकार अब कह रही है कि कई भारतीय अनाजों की खपत विदेशों में की जा रही है। इनसे बने व्यंजन काफी महंगे भी हैं। यही कारण है कि बीते साल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मोटे अनाज की खपत बढ़ाने के सुझाव प्रदेशों की सरकारों को भी दिए थे। उत्तर प्रदेश में कृषि मंत्रालय पहले से ही मोटे अनाज के लिए किसानों को प्रोत्साहित कर रहा है। इसका असर भी अब दिखने लगा है।

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सरकारी आंकड़े बता रहे हैं कि प्रदेश सरकार के बेहतर प्रयासों से राज्य में गत साल की तुलना में 3,68,340 हेेक्टेयर रबी फसलों का आच्छादन बढ़ा है। इसमें से 2,39,000 हेक्टेयर हरी मटर की खेती होती है। कृषि निदेशालय की ओर से दी गई जानकारी कहती है कि जो बाजार में सीजनल मटर के रूप में बिक रही है, वह भविष्य में और सुख देने वाली है। जौ, मक्का, चना, मसूर, तोरिया, अलसी के रकबे में भी बेहतर वृद्धि हुई है, जो विगत साल की तुलना में 03 प्रतिशत अधिक है। इस साल अब तक 5,92,034 राई, सरसों के मिनी किट और 4,41,563 मिनी किट चने और मसूर के मिनी किट भी वितरित किए गए हैं। इसी का नतीजा है कि इस साल राज्य में तिलहन और दलहन के उत्पादन में वृद्धि हुई।

कृषि में किए जा रहे यंत्रीकरण के कारण कृषि कार्य में मशीन और तकनीकियों का प्रयोग बढ़ा है। जिसके फलस्वरूप 40 से 50 प्रतिशत तक के किसानों ने पंक्तिबद्ध खेती करनी शुरू कर दी है। इस प्रकार सरकार के प्रयासों एवं किसानों के परिश्रम से अब तक कुल 1,27,96,309 हेक्टेयर भूमि का रबी फसलों से आच्छादन हो चुका है, वहीं बीते साल 1,24,27,969 हेक्टेयर पर रबी फसलों का आच्छादन था। कृषि में बेहतर तकनीक के प्रयोग से यह सम्भव हो पाया है, इसके लिए किसान बधाई के पात्र हैं।

भविष्य की सरकारी योजनाएं –

राज्य में बड़े पैमाने पर कृषि के यंत्रीकरण को प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से यंत्रों की खरीद के लिए 550 करोड़ रूपए का अनुदान देने की घोषणा हाल में ही कृषि मंत्री भी कर चुके हैं। 50 हजार से ज्यादा कृषि उपकरण भी किसानों को उपलब्ध कराए जाएंगे। कुसुम योजना के अंतर्गत 15 हजार सोलर पम्प विज्ञापित किए गए थे, जिसके सापेक्ष 29 हजार आवेदन विभाग के पास हैं। इसमें 13,183 किसानों ने अपना कृषक अंश जमा करा दिया है। जिन किसानों ने अपना कृषक अंश जमा करा दिया था, उनमें 8,778 को पम्प मिल चुके हैं।

कृषि मंत्री के दावे –

बीते सप्ताह कृषि मंत्री ने दावे किए हैं कि राज्य के भीतर बेहतर कृषि व्यवस्था के लिए प्रदेश सरकार ने उर्वरक की आपूर्ति भी निरंतर बनाए रखी है। धान का उत्पादन भी इस साल बेहतर हुआ है और सरकार ने इस वर्ष 70 लाख मीट्रिक टन धान की खरीद का लक्ष्य रखा है। धान की खरीद के लिए वर्तमान में 4,384 क्रय केंद्र कार्यरत हैं तथा अब तक 37,91,479 मीट्रिक टन धान की खरीद हो चुकी है। जो लक्ष्य के सापेक्ष 34.16 प्रतिशत है। प्रदेश सरकार किसानों को अधिक से अधिक लाभ पहुंचाने के उद्देश्य से राज्य के 70 जनपदों में 1,10,000 हेक्टेयर से अधिक क्षेत्रफलों में प्राकृतिक खेती का कार्य प्रारम्भ करने जा रही है।

  • शरद त्रिपाठी की रिपोर्ट

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