गेंदा के फूलों से महक रही किसानों की जिंदगी, 10 गुना अधिक मुनाफे से बढ़ी आमदनी

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हमीरपुर: हमीरपुर जिले में परम्परागत खेती के साथ किसानों ने फूलों की खेती की तरफ कदम बढ़ाए हैं। अपनी किस्मत चमकाने के लिए तमाम गांवों में किसानों ने खेतों में फूल उगाए हैं। उसकी कटाई के बाद किसान अब फसल बेचने की तैयारी में है। कम लागत में पांच गुना मुनाफा देने वाली फूलों की फसल को लेकर किसानों ने इस बार खेती का रकबा भी बढ़ाने का मन बनाया है।

हमीरपुर जिले में पिछले कई सालों से दैवीय आपदा की मार झेल रहे किसानों को परम्परागत खेती से लागत निकालने में भी मुश्किल हो रही थी। खेतीबाड़ी में ज्यादातर किसान बैंकों और साहूकारों के कर्ज से दबे हैं। इसके साथ ही हर साल उन्हें दैवीय आपदा के कारण तगड़ा झटका लगता आ रहा है। दोहरी मार झेल रहे किसानों ने परम्परागत खेती के साथ मोटा मुनाफा देने वाली औषधीय और फूलों की खेती शुरू की। जिले के राठ क्षेत्र के चिल्ली गांव में रघुवीर सिंह ने इस बार जंगली गेंदा के फूलों की खेती एक बीघे में की है। उनके साथ ही गोहानी पनवाड़ी गांव के राजेन्द्र सिंह ने भी एक बीघे में जंगली गेंदा फूल की खेती की है।

इसी तरह से सरीला क्षेत्र के करही गांव में बलवीर सिंह ने तीन बीघे में फूलों की खेती शुरू की है। खेड़ा शिलाजीत गांव में रामरूप तीन बीघे जमीन पर गेंदा के फूल की खेती कर रहे हैं। इसके अलावा मुस्करा और कुरारा क्षेत्र के तमाम गांवों में भी किसान गेंदा और अन्य फूलों की खेती कर रहे हैं। इस समय खेतों में जंगली गेंदा के फूल खिल गए हैं। अपनी खेती देख कर किसान खुश हैं। किसानों ने बताया कि जंगली गेंदा के फूल छोटे-छोटे आते हैं। यह बाजार में पौधे सहित बिक जाते हैं। इनकी डिमांड लगातार बढ़ रही है। प्रगतिशील किसान राजेन्द्र सिंह और रघुवीर सिंह ने बताया कि पूरे खेत में गेंदा के फूल खिल उठे हैं। अब सात दिन में इनकी कटाई कराने की तैयारी शुरू कराई जा रही है।

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गेंदा के फूलों की खेती से किसानों का जीवन महका –

हमीरपुर जिले के तमाम गांवों में जंगली गेंदा के फूलों की खेती करने वाले रघुवीर सिंह व राजेन्द्र सिंह समेत अन्य किसानों ने बताया कि इसकी खेती में लागत बहुत कम आती है। एक बीघे खेत में जंगली गेंदा फूलों की फसल तैयार करने में छह से सात हजार रुपये की लागत आई है। दस से बारह कुंतल तक फसल तैयार होगी। बाजार में यह पांच हजार रुपये क्विंटल के भाव से बिकता है। जिला उद्यान निरीक्षक घनश्याम सोनकर ने बताया कि परम्परागत खेती के साथ ही किसानों ने आमदनी बढ़ाने के लिए जंगली गेंदा के फूलों की खेती शुरू की। इससे उनकी माली हालत में अब सुधार दिखने लगा है।

गेंदा के फूलों के तेल से चर्मरोग होता है छूमंतर –

आयुर्वेदाचार्य डाँ.दिलीप कुमार त्रिपाठी ने बताया कि जंगली गेंदा का तेल से त्वचा सम्बन्धी बीमारी छूमंतर हो जाती है। इसके अलावा इस फूल के तेल से सौदर्य प्रसाधन के उत्पाद बनाए जाते हैं। डॉ. त्रिपाठी ने बताया कि डिपार्टमेंट में अभी फूलों की खेती को बढ़ावा देने के लिए कोई स्कीम नहीं है। किसान रघुवीर सिंह व राजेन्द्र सिंह ने बताया कि बरेली की आर्गेनिक कम्पनी के लोग पिछले दिनों यहां गांव आकर फूलों की खेती देखी है। जल्द ही तैयार फूलों की पौधों सहित कटाई कराकर उन्हें बेची जाएगी। इस समय पांच हजार से ज्यादा प्रति कुंतल फूलों का भाव है। इससे अबकी बार साठ हजार की कमाई होगी।

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