प्रदेश उत्तर प्रदेश

प्रशिक्षण पाकर आत्मनिर्भर बन रहे किसान, प्राकृतिक खेती पर दिया जा रहा जोर

लखनऊः यूपी की अर्थव्यवस्था को एक ट्रिलियन डॉलर बनाने में कृषि क्षेत्र की बड़ी भूमिका से इंकार नहीं किया जा सकता है। इसके लिए जहां प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी प्रयासरत हैं, वहीं मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भी किसानों के लिए मदद का पिटारा खोल दिया है। बीते दिनों मुख्यमंत्री ने अर्थव्यवस्था को लेकर उत्तर प्रदेश की ओर से विशेष योगदान की बात कही थी। इसमंे खेती का स्थान उत्कृष्ट होगा। हालांकि, कुछ महीने पहले तक केवल किसान ही प्रशिक्षित होते रहे हैं, लेकिन अब अन्य लोेग भी प्रशिक्षित किए जा रहे हैं। इसके लिए किसान वैज्ञानिकों की संख्या बढ़ाई जा रही है, जिसमें कुछ विशेष लोगों को भी प्रशिक्षण में शामिल किया जा रहा है।

बदली हुई वैश्विक परिस्थितियों में पर्यावरण और मानव स्वास्थ्य की रक्षा के लिए कृषि क्षेत्र की भूमिका सबसे महत्वपूर्ण मानी जाती है, इसीलिए अब उत्तर प्रदेश का कृषि विभाग किसानों के कल्याण और कृषि उत्पादन से प्रदेश की समृद्धि को सुनिश्चित करने के लिए कुछ जरूरी कदम उठा रहा है। यहां के कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही ने दिल्ली में क्रॉपलाइफ इंडियाज द्वारा आयोजित 42वें राष्ट्रीय सम्मेलन में कई कृषि वैज्ञानिकों को प्रशिक्षण के लिए मौका दिया। यही नहीं मंत्रालय की ओर से गौ-आधारित प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने के लिए प्रदेश के प्रगतिशील किसानों, कृषि वैज्ञानिकों तथा कृषि अधिकारियों को उच्चस्तरीय प्रशिक्षण दिलाने के लिए अन्य विशेष राज्यों में भेजा जा रहा है।

ये भी पढ़ें-बारिश बनी किसानों के लिए आफत, मिर्च, टमाटर, मूली, गोभी और...

माना जा रहा है कि प्रदेश की मिट्टी, पर्यावरण तथा मानव स्वास्थ्य के संरक्षण के कार्य को पूरे यूपी में विस्तार से प्रसारित किया जाएगा। अभी पिछले सप्ताह ही एक उच्चस्तरीय दल को वहां की खेती के तरीके सीखने के लिए हरियाणा भेजा गया था। यह दल 28 और 29 सितम्बर को हरियाणा के कुरुक्षेत्र में गुरुकुल प्रक्षेत्र गया था। इसमें स्वयं कृषि मंत्री गन्ना विभाग, मंत्री उद्यान एवं खाद्य प्रसंस्करण, कृषि राज्य मंत्री, मुख्य सचिव, कृषि उत्पादन आयुक्त, अपर मुख्य कृषि, अपर मुख्य सचिव, गन्ना, कृषि एवं संबद्ध विभाग के समस्त निदेशक, निदेशक, मंडी भी सम्मिलित थे। भ्रमण दल के साथ प्रदेश में स्थित चार कृषि विश्वविद्यालय के अधीन संचालित वैज्ञानिक निदेशक, रहमानखेडा, कृषि विभाग के अधिकारी एवं कई किसान थे। सभी लोगों ने वहां की खेती करने के तरीके और तकनीकी का बारीकी से अध्ययन किया। यह लोग तीन दिनों तक खेती की अर्थव्यवस्था सुधारने की तरकीबें सीखते रहे।

प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने के लिए किए गए प्रयासों के तहत कृषि विभाग द्वारा यह कदम सराहनीय माना जा रहा है। यह दल अब लखनऊ पहुंच कर अपने ज्ञान का विस्तार करने में जुटा है। कृषि विभाग की ओर से दी गई जानकारी के अनुसार, प्रदेश के समस्त 75 जनपदों में प्राकृतिक खेती के लिए अब मास्टर ट्रेनर तैयार किए जा रहे हैं। वैसे भी प्रदेश में बाजरा एवं मक्का के क्षेत्रफल को बढ़ाने के लिए किसानों को वित्तीय प्रोत्साहन दिया जा रहा है। यह कुछ ऐसे कदम हैं, जिनसे प्रदेश की खेती की दशा में सुधार हो सकेगा।

  • शरद त्रिपाठी की रिपोर्ट

अन्य खबरों के लिए हमें फेसबुक और ट्विटर पर फॉलो करें व हमारे यूट्यूब चैनल को भी सब्सक्राइब करें