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किसान आंदोलनः SC ने इस बात पर जताई चिंता, कहा- तबलीगी जमात की तरह परेशानी न हो जाएं

New Delhi, Jan 06 (ANI): Farmers sitting on a protest against the new farm laws at Delhi-Gazipur border in new Delhi on Wednesday. (ANI Photo)

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने तब्लीगी मरकज मामले में केंद्र और दिल्ली सरकार पर ढिलाई का आरोप लगाने वाली याचिका पर सुनवाई करते हुए पूरी घटना की जानकारी मांगी है। चीफ जस्टिस एसए बोब्डे की अध्यक्षता वाली बेंच ने दो हफ्ते में जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने सरकार से यह भी कहा कि उसे बड़ी संख्या में लोगों के इकट्ठा होने को लेकर दिशा-निर्देश जारी करना चाहिए। चीफ जस्टिस ने कहा कि सावधानी नहीं बरती गई तो बीमारी के विस्तार का अंदेशा बढ़ जाएगा।

सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा कि इसका समाधान ज़रूरी है। अब किसान इकट्ठा हो गए हैं। हमें नहीं लगता कि उन्हें कोरोना से कोई विशेष सुरक्षा है। सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता ने मौलाना साद के गायब होने पर सवाल उठाया। तब सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हम मूल समस्या पर बात कर रहे हैं। आंदोलन के लिए जमा किसानों की बात करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने सरकार से यह भी कहा कि उसे बड़ी संख्या में लोगों के जमा होने को लेकर दिशा-निर्देश जारी करनी चाहिए। चीफ जस्टिस ने कहा कि सावधानी नहीं बरती गई तो बीमारी के विस्तार का अंदेशा बढ़ जाएगा।

याचिका वकील सुप्रिया पंडिता ने दायर किया है। याचिका में कहा गया है कि निजामुद्दीन के मरकज से कोरोना फैलने और आनंद विहार बस स्टैंड पर हजारों मजदूरों की भीड़ जुटने की सीबीआई जांच की जाए। याचिका में कहा गया है कि निजामुद्दीन मरकज के प्रमुख मौलाना साद की अभी तक गिरफ्तारी नहीं हुई है। याचिका में केंद्र सरकार के 16 मार्च, 2020 के उस एडवाइजरी का उल्लेख किया गया है, जिसमें सोशल डिस्टेंसिंग के तरीके अपनाने की बात कही गई है। इस एडवाइजरी में धार्मिक नेताओं को भीड़ एकत्र नहीं करने की सलाह दी गई थी। 23 मार्च, 2020 को भी प्रधानमंत्री ने 21 दिनों के लॉकडाउन की घोषणा की थी।

याचिका में कहा गया है कि लॉकडाउन के बावजूद 28 मार्च को दिल्ली में काम करने वाले बिहार और यूपी के प्रवासी मजदूर हजारों की संख्या में आनंद विहार बस अड्डे पर पहुंच गए ताकि वे अपने घर जा सकें लेकिन दिल्ली सरकार, दिल्ली परिवहन विभाग और दिल्ली पुलिस ने कोई कार्रवाई नहीं की। याचिका में कहा गया है कि 29 मार्च, 2020 को भी यही वाकया दोहराया गया लेकिन दिल्ली सरकार, दिल्ली परिवहन विभाग और दिल्ली पुलिस ने कोई कार्रवाई नहीं की। याचिका में दिल्ली भाजपा नेता कपिल मिश्रा के उस बयान को आधार बनाया गया, जिसमें कहा गया था कि दिल्ली सरकार ने यूपी और बिहार के प्रवासी मजदूरों से कहा कि डीटीसी की बसें आनंद विहार बस अड्डे तक छोड़ देंगी।

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याचिका में 15 से 17 मार्च, 2020 तक निजामुद्दीन मरकज में धार्मिक कार्यक्रम के आयोजन की चर्चा की गई है। इस आयोजन में दो हजार से ज्यादा प्रतिनिधि शामिल हुए थे। इस कार्यक्रम में शामिल कई लोग कोरोना पॉजिटिव पाए गए। उनके संपर्क में आने वाले हजारों लोगों को संक्रमण हुआ। याचिका में कहा गया है कि दिल्ली सरकार ने इतने लोगों को आयोजन में शामिल होने की अनुमति कैसे दी।

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