झांसी : जिला कृषि रक्षा अधिकारी ने सूचित किया है कि फाल आर्मी वर्म (fall armyworm) की पहचान एवं प्रबन्धन हेतु एडवाइजरी जारी की गई है, यह अत्यन्त ही खतरनाक कीट है। यह एक बहुभोजीय कीट है, जिसके कारण अन्य फसलों जैसे- मक्का, बाजरा, धान, गेहूं, तथा गन्ना आदि फसलों को हानि पहुंच सकता है तथा देर से बुवाई एवं संकर किस्में इस कीट के प्रकोप हेतु संवेदनशील हैं।
पहचान एवं लक्षण- इस कीट की मादा ज्यादातर पत्तियों की निचलें सतह पर अण्डे देती है। कभी-कभी पत्तियों की
ऊपरी सतह एवं तनों पर भी अण्डे देती है। इसकी मादा एक से ज्यादा पर्त मे अण्डे देकर सफेद झाग से ढक देती है। अण्डे धूसर से हरे व भूरे रंग के होते है। फाल आर्मी वर्म (fall armyworm) का लार्वा भूरा धूसर रंग का होता है। जिसके शरीर के साथ अलग से ट्यूबरकल दिखता है। इस कीट के लार्वा अवस्था मे पीठ के नीचे तीन पतली सफेद धारियां और सिर पर एक अलग सफेद उल्टा अंग्रेजी शब्द का वाई (Y) दिखता है। इसके शरीर के दूसरे अन्तिम खण्ड पर वर्गाकार चार बिन्दु दिखाई देते हैं तथा अन्य खण्ड पर चार छोटे-छोटे बिन्दु समलम्ब आकार में व्यवस्थित होते हैं।
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यह कीट फसल की लगभग सभी अवस्थाओं मे नुकसान पहुंचाता है, लेकिन मक्का इस कीट की रूचिकर फसल है। फाल आर्मी वर्म (fall armyworm) मक्का के पत्तों के साथ-साथ बाली को विशेष रूप से प्रभावित करता है। इस कीट का लार्वा मक्के के छोटे पौधे के डन्ठल आदि के अन्दर घुसकर अपना भोजन प्राप्त करते हैं। इस कीट के प्रकोप की पहचान फसल की बढ़वार की अवस्था में जैसे पत्तियों को खुरचकर खाने से पारदर्शी झिल्ली का बनना पत्तियों मे छिद्र एवं कीट के मल-मूत्र से पहचाना जा सकता है। मल महीन भूसे के बुरादे जैसा दिखाई देता है।
इस तरह करें प्रबन्धन –
- फसल की गहन निगरानी एवं सर्वेक्षण करें।
- फाल आर्मी वर्म के अण्डों एवं लार्वा को एकत्रित करके नष्ट कर देना चाहिए।
- टैप फसल जैसे नैपियर की 3-4 मक्के की फसल के चारों ओर बुवाई करने से इसका प्रभावी नियंत्रण होता है। टैप फसलों पर इसका प्रकोप दिखाई देने पर 5 प्रतिशत एनएसकेई (नीम सीड करनल एक्सटेक्स) अथवा एजाडिरैक्टिन 1500 पीपीएम (नीम आयल) का छिड़काव करना चाहिए।
- फसल की प्रारम्भिक अवस्था में यांत्रिक विधि के तौर पर सांयकाल (7 से 9 बजे तक ) में 3 से 4 की संख्या में प्रकाश प्रपंच एवं 8 से 10 की संख्या में बर्ड पर्चर टी आकार की डण्डे (जिस पर चिड़िया बैठे) प्रति एकड़ लगाना चाहिए।
- रासायनिक नियंत्रण हेतु स्पीनेटोरम 11.7 प्रतिशत एससी 0.5 मिली अथवा क्लोरेन्टानिलिप्रोल 18.5
प्रतिशत एससी 0.4 मिली अथवा थायोमेथाक्साम 12.6 प्रतिशत + लैम्ब्डा साईहैलोथिन 9.5 प्रतिशत जेडसी 0.25 मिली को प्रति ली पानी में घोल बनाकर भूहा (टेसल) की अवस्था से पूर्व छिड़काव करें।
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