लखनऊः आंखें हमारे शरीर का सबसे अनमोल हिस्सा हैं और इसके बिना दुनिया वीरान सी लगती हैं। गर्मियों के मौसम में इनका विशेष ध्यान रखना बहुत जरूरी होता है। तेज धूप के अलावा एसी की ठंडी हवा आंखों के लिए बेहद नुकसानदायक होती है। इसी को लेकर इंडिया पब्लिक खबर के विशेष संवददाता रघुनाथ कसौधन ने शहर के अलीगंज हाउसिंग स्कीम सीतापुर रोड पर स्थित वागा सुपरस्पेश्यालिटी हाॅस्पिटल की मशहूर नेत्र विशेषज्ञ डॉ. पल्लवी सिंह (एम. एस. ऑप्थैल्मोलॉजी) से विशेष बातचीत की। प्रस्तुत हैं उसके अंश:
- गर्मियों में आंखों की देखभाल क्यों जरूरी है ?
जब भी मौसम में परिवर्तन होता है तो आंखों में रूखापन आ जाता है। गर्मी के मौसम में गर्म हवाएं चलने लगती हैं और धूप भी काफी तेज होती है। ऐसे में आंखों का विशेष ध्यान रखना चाहिए। गर्मी के मौसम में कंजक्टिवाइटिस, आंखों में रेडनेस आदि की समस्या ज्यादा सामने आती है। ऐसे में लोग जब भी बाहर निकलें तो गाॅगल लगाकर निकलें और बाहर से लौटकर आंखों को अच्छी तरह धुल लें। इन सभी बातों का ध्यान रखकर हम अपनी आंखों को गर्मियों के प्रभाव से बचा सकते हैं।
- सनग्लासेस आंखों के लिए कितने जरूरी हैं और इनका सही चुनाव कैसे करें ?
गर्मी के मौसम में आंखों की सुरक्षा के लिए सनग्लासेस का अहम रोल होता है और यदि आप धूप में निकल रहे हैं तो इनका इस्तेमाल जरूर करें। इस समय बाजार में तो तरह-तरह के सनग्लासेस बिक रहे हैं, लेकिन यूवी प्रोटेक्टेड यानि जो ब्लू रेज को फिल्टर करते हैं, ऐसे सनग्लास का प्रयोग करना चाहिए। यदि आप इनका प्रयोग करते हैं तो हानिकारक किरणें आपके रेटिना तक नही पहुंच पाएंगी। अगर आप टेम्परेरी सनग्लासेस का प्रयोग करते हैं तो वह ज्यादा हानिकारक होते हैं। ऐसे में अच्छा होगा कि आप उनका प्रयोग न ही करें।
- क्या आंखों को सुरक्षित रखने में नींद की अहम भूमिका होती है ? इसके लिए औसतन कितने घंटे की नींद आवश्यक है ?
आंखों को सुरक्षित रखने और उसे स्वस्थ रखने में नींद की अहम भूमिका होती है। किसी भी व्यक्ति को कम से कम 6-8 घंटे की गहरी नींद जरूर लेनी चाहिए। अगर आप इतनी नींद नही लेते हैं तो थकान रहेगी, काम अच्छे तरीके से नही होगा और भारीपन जैसे स्थिति रहेगी। इस समय स्लीप डिसऑर्डर की वजह से तमाम लोग बीमार पड़ रहे हैं और आंखों से संबंधित तमाम परेशानियां खड़ी हो रही है, इसलिए भरपूर नींद बेहद जरूरी है।
- शरीर के अन्य अंगों की तरह क्या आंखों की मसाज जरूरी होती है ? इससे क्या लाभ होता है ?
हम मसाज उस समय करते हैं, जब शरीर के किसी अंग में थकान होती है। अगर कोई व्यक्ति घंटों कम्प्यूटर पर काम करता है तो ऐसे लोगों की आंखों में थकान ज्यादा आती है। ऐसे में आप हल्के से आंखों की मसाज जरूर करें। ल्यूब्रिकेंट यूज कर सकते हैं, कोल्ड से सिंकाई कर सकते हैं और थोड़ी-थोड़ी देर पर आंखों को ब्लिंक करते रहें, जिससे आंखों में ड्राइनेस बनी रहेगी। इन सभी चीजों से आंखों को काफी आराम मिलता है और वह सही तरीके से काम कर पाती है।
- गर्मियों में एसी की हवा भी क्या आंखों के लिए नुकसानदायक है ?
अगर आंख के अंदर कोई भी रेज डायरेक्ट आती है और खास तौर से एसी की, तो आंखों में रूखापन बहुत ज्यादा हो जाता है। जो लोग कम्प्यूटर पर काम करते हैं, उन्हें हम सलाह देते हैं कि कम्प्यूटर और उनके बीच एसी का फ्लोअप बिल्कुल नही होना चाहिए। गर्मी के मौसम में यह बिल्कुल ध्यान रखें कि एसी की हवा सीधे आंखों पर न पड़े। यदि आप नार्मल टेम्परेचर में एसी में रहते हैं तो उससे कोई नुकसान नही है।
- कैटरैक्ट सर्जरी क्या है ? क्या यह पूरी तरह सुरक्षित है ?
पहले जो सर्जरी होती थी, वह टांके विधि से होती थी। कैटरैक्ट सर्जरी शरीर में होने वाली सभी प्रकार की सर्जरियों में बेहद सुरक्षित है, लेकिन जरूरी यह है कि मरीज की इम्यूनिटी उसके अनुसार कितनी है। आज के समय में बहुत आसानी से यह सर्जरी की जा रही है और लोगों को कम समय और कम कीमत में इसका लाभ भी मिल रहा है।
- न्यूरो ऑप्थैल्मोलॉजी क्या है ? क्या दिमाग की बीमारियों का आंखों पर भी असर पड़ता है ?
हमारे दिमाग की ब्लड वेसेल्स आंख से होते हुए जाती हैं। अगर कहीं भी कोई नर्व दबेगी तो सप्लाई बंद हो जाती है। जिससे अचानक दिखना बंद हो सकता है और अन्य कई प्रकार की परेशानियां हो सकती हैं। ग्लूकोमा भी जनरेट हो सकता है। पहले की अपेक्षा अब न्यूरो ऑप्थैल्मिया के मामले 5-10 प्रतिशत ज्यादा आ रहे हैं, लेकिन अब इसका बेहतर इलाज मौजूद है।
- करेक्टिव लेन्स क्या आंखों के लिए सुरक्षित है ? इसे लगवाने के बाद किस तरह इसे सुरक्षित रखा जा सकता है ?
प्रकृति द्वारा प्रदत्त आंखें तो दोबारा नही बन सकती है, ऐसे में करेक्टिव लेन्स लगवाने के बाद आंखों की देखभाल बेहद जरूरी होती है। यह लेन्स पूरी तरह सुरक्षित होते हैं, लेकिन इसे लगवाने के बाद मरीज को कुछ विशेष सावधानी बरतनी होती है। आंखों को चोट से बचाना होता है, ज्यादा आंसू नही निकालना होता है और ब्लड प्रेशर व डायबिटीज को नियंत्रित रखना होता है। यदि आपका ब्लड प्रेशर बढ़ता है तो ब्लड वेसल्स में खून आ सकता है। लेन्स लगाने का सीध मतलब यही होता है जैसे चश्मा हम ऊपर से लगाते हैं और वह अंदर से होता है।
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- कम्प्यूटर पर घंटों काम करने से आंखों पर बुरा प्रभाव पड़ता है, क्या इसके लिए चश्मे जरूरी ही हैं ?
कम्प्यूटर पर घंटों काम करने वाले लोगों को कम्प्यूटर विजन सिंड्रोम यानि सीवीएस नाम की बीमारी हो सकती है। यदि आप घंटों काम करते हैं तो कम्प्यूटर की कुछ गाइडलाइन्स होती हैं, जिसे हमें फॉलो करना चाहिए। अगर मरीज को कोई नंबर नही है तो अपने कम्प्यूटर में ब्लू कट लेन्स लगवा सकता है या फिर ग्लास पहनें। कारण कि कम्प्यूटर से निकलने वाली ब्लू रेज़ काफी हानिकारक होती हैं। घंटों काम करने से आंखों में थकान हो जाती है और दृश्यता कम होने का भी खतरा रहता है। ऐसे में यदि आप 4-6 घंटे काम कर ही रहे हैं, तो इन बातों का ध्यान जरूर रखें।