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पटनाः बिहार में पिछले साल नवंबर में बनी नई सरकार के मंत्रिमंडल विस्तार के बाद अब राज्यपाल कोटे से विधान परिषद सदस्य बनने को लेकर सियासत तेज है। इसे लेकर नेता जहां अपनी गोटी फिट करने में जुटे हैं वहीं इसके लिए लॉबिंग में जुटे हैं। बिहार में राज्यपाल के कोटे से विधान परिषद में 12 लोगों का मनोनयन होना है, जिसके लिए लॉबिंग तेज हो गई है। ये सीटें पिछले साल मई से ही खाली है। बिहार में राजग के घटक दल भारतीय जनता पार्टी और जनता दल (युनाइटेड) के नेता अपनी दावेदारी के लिए पूरी ताकत झोंक रहे हैं। नेता किसी भी तरह विधान परिषद पहुंचने के जुगाड़ में हैं।
सूत्रों का कहना है कि भाजपा और जदयू इसमें छह-छह सीटें बांटेगी, हालांकि कहा जा रहा है कि राजग में शामिल हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा (हम) और विकासशील इंसान पार्टी (वीआईपी) भी अपनी दावेदारी जरूर पेश करेगी। उल्लेखनीय है कि मंत्रिमंडल विस्तार के बाद वीआईपी की नाराजगी भी सामने आ चुकी है। सरकार में शामिल दो मंत्रियों जदयू के अशोक चौधरी और भाजपा के जनक राम का उच्च सदन के लिए मनोनयन पहले से ही तय है। शेष 10 सीटों को लेकर दावेदारी का दौर चरम पर है। हम प्रमुख जीतनराम मांझी और वीआइपी के अध्यक्ष मुकेश सहनी भी एक-एक सीट की दावेदारी कर रहे है, हालांकि गुंजाइश नहीं दिख रही है।
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विधान परिषद की दो सीटें हाल में ही खाली हुई थी जिनमें सुशील मोदी और विनोद नारायण झा की खाली सीटें भाजपा के खाते में आई थी। भाजपा ने एक सीट वीआइपी प्रमुख मुकेश सहनी को तो दूसरे से शाहनवाज हुसैन को विधान परिषद सदस्य बनाया था। शाहनवाज मंत्रिमंडल विस्तार के बाद मंत्री बनाए गए हैं। भाजपा के कई नेताओं के इस मनोनयन पर दृष्टि लगी हुई है। कई ऐसे नेता भी विधान परिषद पहुंचने के फिराक में हैं जिनका विधानसभा चुनाव में टिकट कट गया था। इधर, जदयू और भाजपा के सूत्र भी कहते हैं कि दोनों पार्टियों के रणनीतिकार कुछ नाराज दिग्गज नेताओं को विधान परिषद सदस्य बनाकर उनकी नाराजगी कम करने की कोशिश करेंगे।