लखनऊः कोरोना की भीषण महामारी के समय जब लोगों की मानवीय संवेदना मृतप्राय हो चली हैं। ऐसे में छत्तीसगढ़ से इतनी दूरी तय कर एंबुलेंस में ऑक्सीजन और दवाओं के साथ अपने एक श्रमिक को वापस ले जाना किसी मिसाल से कम नही है। राजधानी लखनऊ समेत पूरे उत्तर प्रदेश में कोरोना संक्रमितों को इलाज के लिए जहां दर-दर भटकना पड़ रहा है। सरकारी व प्राइवेट किसी भी अस्पताल में आम नागरिकों की न तो कोई सुनवाई है और न ही सरकारी दावों के तहत किसी तरह की मदद। संक्रमितों के परिजन इलाज के लिए एक ओर जहां दर-दर भटक रहे हैं। वहीं दूसरी ओर छत्तीसगढ़ से लखनऊ जीवन-यापन करने आया एक मजदूर दिलीप यादव जो चिनहट क्षेत्र में रहता है।
दिलीप की पिछले एक-दो दिन से तबियत खराब थी। उसे बुखार एवं सांस लेने में तकलीफ थी। उसके साथ काम करने वाले बीरबल ने बताया कि दिलीप के इलाज के लिए गोमतीनगर से लेकर चिनहट तक के सभी सरकारी व निजी अस्पतालों में भटकते रहे, परंतु कहीं भी मदद नहीं मिली। जिस पर उन्होंने शुक्रवार को शाम सात बजे छत्तीसगढ़ निवासी दिलीप के परिजनों एवं अस्पताल में मदद की गुहार लगायी। वहां के एक अस्पताल ने तत्काल अपने नागरिक को बचाने के लिए एंबुलेंस मय ऑक्सीजन एवं अन्य उपकरण के साथ ‘देवदूत’ के रुप में तत्काल रवाना कर दिया।
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आज सुबह एंबुलेंस राजधानी के चिनहट क्षेत्र में पहुंची और दिलीप को लेकर छत्तीसगढ़ के लिए रवाना हो गयी। दूसरी ओर उत्तर प्रदेश के जिलों की बात छोड़ दें राजधानी लखनऊ में ही स्थितियां इतनी भयावह है कि जो मरीज कोरोना संक्रमित नही हैं, उनके गंभीर बीमारियों के इलाज करने से भी सरकारी व निजी अस्पताल मना कर दे रहे हैं।