यूक्रेन को यूरोपीय संघ देगा 18 अरब यूरो की वित्तीय मदद, सर्दी में मिलेगी राहत

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जेलेंस्की

ब्रसेल्स: पिछले कई महीनों से लगातार रूसी हमलों को झेल रहे यूक्रेन के लिए बढ़ती ठंड के बीच एक राहत की खबर आई है। यूरोपीय संघ (ईयू) ने यूक्रेन को 18 अरब यूरो की सहायता देने की घोषणा की है।

यूरोपीय संघ यानी ईयू 18 अरब यूरो (18.93 अरब डालर) के वित्तीय पैकेज तथा वहां की बड़ी कंपनियों पर न्यूनतम कर लागू करने संबंधी समझौते पर सैद्धांतिक रूप से सहमत हो गया है। इससे ईयू को ब्लाक व विद्रोही रुख अपना रहे उसके सदस्य हंगरी के बीच नाराजगी दूर करने में भी मदद मिलेगी। यूरोपीय देशों के 27 राजदूत सोमवार देर रात एक समझौते पर सहमत हुए। इसमें एक बड़ा हिस्सा हंगरी का होगा, जिसके लिए उसने वादा किया था, लेकिन ऐलान के अनुरूप आगे नहीं बढ़ सका था। इसके कारण ईयू के अन्य देश हंगरी पर नियमों को तोड़ने का आरोप लगाने लगे थे।

ईयू के मौजूदा अध्यक्ष चेक ने ट्वीट किया, ‘मेगाडील!’ यह डील अभी संभावित है, क्योंकि इस पर हस्ताक्षर नहीं हुए हैं। हालांकि, इसकी राह में कोई बड़ी बाधा नजर नहीं आती।

यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की ने पेरिस में जुटे सहयोगियों से मंगलवार को कहा कि उनके देश को आपतकालीन ऊर्जा जरूरतों की पूर्ति के लिए कम से कम 80 करोड़ यूरो की तत्काल जरूरत है। फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुए मैक्रों 70 देशों व संस्थाओं के प्रतिनिधियों की बैठक की मेजबानी कर रहे हैं, जिसमें अभी से लेकर मार्च तक जल, खाना, ऊर्जा, स्वास्थ्य व परिवहन व्यस्था दुरुस्त रखने संबंधी उपायों पर चर्चा होनी है। मैक्रों ने उद्घाटन भाषण में कहा, ‘युद्ध में यूक्रेन की बढ़त के बाद रूस ने कीव के नागरिक सेवाओं व बुनियादी ढांचों पर हमले शुरू कर दिए हैं।’

उन्होंने यूक्रेन को तत्काल 63 इलेक्टि्रक जेनरेटर व 4.85 करोड़ यूरो उपलब्ध कराने का एलान किया। आर्थिक महाशक्तियों के समूह जी-7 ने यूक्रेन की सैन्य ताकत बढ़ाने और उसकी वायु रक्षा पर ध्यान केंद्रित करने पर विचार किया। जेलेंस्की की अपील पर समहू सदस्यों ने यूक्रेन की तात्कालिक जरूरतों की पूर्ति का भरोसा भी दिया। अमेरिकी अधिकारियों ने बताया कि उनके देश ने करीब 1.3 करोड़ डालर के ऊर्जा उपकरणों की पहली खेप यूक्रेन के लिए रवाना कर दी है। दो अन्य खेप भी इसी हफ्ते रवाना होंगी। इस बीच, डोनेस्क के पूर्वी क्षेत्र में यूक्रेन व रूस के बीच युद्ध जारी रहा। दोनों ही देश डोनेस्क में हालात कठिन होने की बात कहते हैं और युद्ध में सफलता का दावा कर रहे हैं।