जगदलपुरः छत्तीसगढ़ कर्मचारी अधिकारी फेडरेशन के संभागीय प्रभारी कैलाश चौहान, संभागीय अध्यक्ष गजेंद्र श्रीवास्तव और जिला संयोजक आरडी तिवारी ने संयुक्त बयान जारी कर एस्मा (esma) लगाने की निंदा की है। उन्होंने कहा है कि संविदा कर्मचारियों के चल रहे अनिश्चितकालीन आंदोलन के चलते कर्मचारियों पर एस्मा जैसा काला कानून लागू करना सरकार की तानाशाही है।
याद दिलाया कर्मचारियों किया वादा
उन्होंने आज अपने बयान में कहा कि विधानसभा चुनाव 2018 के पहले कांग्रेस की जन घोषणा पत्र समिति के अध्यक्ष टीएस सिंहदेव ने छत्तीसगढ़ के प्रत्येक जिले का दौरा कर वहां पदस्थ कर्मचारियों की मांगों और समस्याओं पर चर्चा की और अपने जन घोषणा पत्र में उल्लेख किया कि राज्य के सभी कर्मचारियों और अधिकारियों को उनकी पूरी सेवा के दौरान चार स्तरीय प्रोन्नत वेतनमान दिया जाएगा और संविदा, अनियमित और दैनिक वेतनभोगी कर्मचारियों को 10 दिनों के भीतर नियमित किया जाएगा। फिलहाल सरकार बने पांच साल बीत चुके हैं, लेकिन जनघोषणा पत्र में कर्मचारियों से किये गये वादों पर सरकार अब तक खामोश है। इसलिए कर्मचारी लोकतांत्रिक तरीके से जन घोषणा पत्र में कर्मचारियों से किए गए वादों को याद दिलाने के लिए धरना, प्रदर्शन और हड़ताल का सहारा लेकर सरकार तक अपनी आवाज पहुंचाने का काम कर रहे हैं।
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कानून को बताया तानाशाही
वहीं, पटवारियों के अनिश्चितकालीन आंदोलन के बीच छत्तीसगढ़ सरकार ने एस्मा लगा दिया है। सरकार कर्मचारियों की मांगों और समस्याओं का समाधान करने के बजाय एस्मा जैसे काले कानून लगाकर उनकी आवाज को दबाने का तानाशाही प्रयास कर रही है, जो लोकतंत्र में पूरी तरह से अनुचित है। जिसकी छत्तीसगढ़ कर्मचारी अधिकारी फेडरेशन जगदलपुर कड़ी निंदा करता है। महासंघ प्रदेश के मुख्यमंत्री से मांग करता है कि सरकार एस्मा जैसे काले कानून को वापस ले तथा सरकार प्रतिनिधि मंडल से वार्ता कर उनकी मांगों/समस्याओं पर सहानुभूतिपूर्वक निर्णय लें।
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