Thursday, January 30, 2025
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वायरोलॉजिस्ट बन कर करें वायरस का खात्मा, मोटी सैलरी के साथ बनाएं अलग पहचान

लखनऊः भारत समेत पूरी दुनिया इस समय कोरोना वायरस की चपेट में है। आए दिन ये खतरनाक वायरस लोगों को अपना शिकार बना रहा है। इस वायरस पर नियंत्रण पाने के लिए कई देशों में लॉकडाउन लगाया जा रहा है, वहीं दूसरी ओर डॉक्टर्स और विशेषज्ञ इस वायरस से निपटने के लगातार प्रयास कर रहे हैं और आए दिन नए-नए शोध कर रहे हैं। वायरस का इलाज करने के लिए वायरस से जुड़ी स्टडीज करनी पड़ती है। जैसे कि वायरस क्या है ? कैसा है ? उसकी रूपरेखा क्या है ? वायरस के संक्रमण से कौन सी बीमारी होगी आदि। जो इस स्टडीज को करते हैं, उन्हें वायरोलॉजिस्ट कहा जाता है। वर्तमान समय में वायरोलॉजिस्ट एक बेहतर करियर ऑप्शन के रूप में भी सामने आ रहा है। युवा इस क्षेत्र में अपना करियर बना सकते हैं।

क्या करते हैं वायरोलॉजिस्ट

साइंस की जिस शाखा के तहत वायरस की बनावट और उनके काम-काज का तरीका और वायरस के संक्रमण से होने वाली बीमारियों की स्टडी की जाती है, उसे वायरोलॉजी या विषाणु विज्ञान कहते हैं। जो प्रोफेशनल इसकी स्टडीज करता है, उसे वायरोलॉजिस्ट कहा जाता है। वायरोलॉजिस्ट मॉलक्युलर लेवल पर इन प्रक्रियाओं की स्टडीज करता है। कुछ वायरोलॉजिस्ट उन एंटीवायरल कंपाउड की बनावट और कार्यशैली की स्टडी करते हैं, जिनको हाल ही में खोजा गया होता है। वायरोलॉजिस्ट मुख्य रूप से लैब में काम करते हैं। वायरोलॉजिस्ट इस बात का अध्ययन करते हैं कि वायरसों का इंसानों के साथ-साथ जानवरों, पशु-पक्षियों, कीट-पतंगों, पेड़-पौधों, बैक्टीरिया, फंगी और सरीसृप वर्ग पर किस प्रकार का घातक प्रभाव पड़ रहा है।

योग्यता

वायरोलॉजी में करियर बनाने के लिए एक प्रोफेशनल को इस फील्ड में काफी डीप नॉलेज होनी चाहिए। वायरोलॉजिस्ट मुख्य रूप से लैब में काम करते हैं। वायरोलॉजिस्ट बनने के लिए बायोलॉजी का बैकग्राउंड होना जरूरी है। कैंडिडेट के पास हाईस्कूल लेवल तक बायोलॉजी जरूर होना चाहिए। इस फील्ड में करियर बनाने के लिए कैंडिडेट लाइफ साइंस या बायोकेमिस्ट्री बैकग्राउंड से जुड़ा होना चाहिए, साथ ही उसे लाइफ साइंस या बायोकेमिस्ट्री में बैकग्राउंड काफी मजबूत होना चाहिए। मास्टर लेवल के प्रोग्राम में कोर्स वर्क, लैब स्टडी और रिसर्च शामिल होते हैं। यह प्रोग्राम 12 महीने या उससे ज्यादा का हो सकता है। इसके अलावा रिसर्च स्पेशलिस्ट बनने के लिए पीएचडी करनी होती है। वायरोलॉजी का ज्यादातर प्रोग्राम मॉलक्युलर बायॉलजी या मेडिकल ग्रैजुएट प्रोग्राम का हिस्सा होता है।

संभावना

हर क्षेत्र में लगातार बढ़ रही प्रतिस्पर्धा के दौर में वायरोलॉजिस्ट के क्षेत्र में अभी उतनी प्रतिस्पर्धा नहीं है। जिसके चलते एक वायरोलॉजिस्ट के लिए सिर्फ देश में ही नहीं, बल्कि विदेशों में भी काफी संभावनाएं हैं। एंटीवायरल ड्रग खोज करने से जुड़े क्षेत्र में इनकी आवश्यकता लगातार बढ़ती जा रही है। ऐसे में इस क्षेत्र में करियर के लिए अपार संभावनाएं हैं। यह आज की ही बात नहीं है, इससे पहले भी कई ऐसे वायरस आ चुके हैं जिन्होंने दुनिया में खूब तबाही मचाई है। इसलिए वायरस की फील्ड में करियर की काफी संभावनाएं हैं। यह उभरता हुआ करियर है और इस फील्ड में प्रतियोगिता भी काफी कम है।

शिक्षण संस्थान

भारत में कई यूनिवर्सिटी वायरॉलजी में एमएससी ऑफर करती है।

  • सावित्रीबाई फुले पुणे यूनिवर्सिटी
  • मणिपाल यूनिवर्सिटी, कर्नाटक,
  • एमिटी यूनिवर्सिटी, उत्तर प्रदेश
  • श्री वेंकटेश्वर यूनिवर्सिटी, आंध्र प्रदेश
  • आर्मी इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी एंड इम्यूनोलॉजी, नोएडा
    दुनिया की कई टॉप यूनिवर्सिटी ग्रैजुएट लेवल पर भी वायरॉलजी का कोर्स ऑफर करती हैं।
  • हार्वर्ड यूनिवर्सिटी, अमेरिका
  • यूनिवर्सिटी ऑफ पेनिसिल्वानिया- यूएसए
  • यूनिवर्सिटी ऑफ ग्लासगो, यूके
  • यूनिवर्सिटी ऑफ कैंब्रिज, यूके
  • यूनिवर्सिटी ऑफ टोरंटो, कनाडा

सैलरी

इस क्षेत्र में सैलरी भी काफी अच्छी मिलती है। शुरूआत में एक वायरोलॉजिस्ट को सालाना 4-5 लाख रुपए सैलरी मिलती है। वहीं सीनियर लेवल पर पहुंचने के बाद एक वायरोलॉजिस्ट को सालाना 8 से 9 लाख रुपए मिलते हैं।

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