Wednesday, January 8, 2025
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हरियाणा में घूंघट से बाहर निकल चुनावी पोस्टर, बैनर पर छाई हैं बहुएं, मिल रहा पूरा हक

गुरुग्रामः स्त्री एक ऐसी गुरू होती है जो शर्ट के टूटे बटन से लेकर व्यक्ति के टूटे आत्मविश्वास तक को जोड़ने की कला जानती है। हल्की के बीच ठंड इन दिनों चुनावी मौसम चल रहा है। चुनावी समर में महिलाएं भी पीछे नहीं हैं। चुनावों में महिला सीट रिजर्व होने के चलते या फिर उनके अपने रसूखों से महिलाएं अब चुनाव में बढ़-चढ़कर भाग ले रही हैं। वे घूंघट से बाहर अब चुनावी पोस्टर, बैनर पर भी छाईं हुई हैं।

एक मजबूत, आत्मनिर्भर, पढ़ी-लिखी महिला से मजबूत कोई स्तम्भ नहीं और उस आदमी सा बड़ा कोई रोल मॉडल नहीं, जो ऐसी महिलाओं के साथ हर परिस्थिति में खड़े रहते हैं। आज 21वीं सदी में बहुत कुछ बदला है। पर्दे में रहकर और पर्दे से बाहर आकर वह देश, समाज में खुद को साबित करने से पीछे नहीं रहती। कोरोना महामारी से बाहर निकलकर अब करीब 7 साल बाद हरियाणा में पंचायत चुनाव कराए जा रहे हैं। इन चुनावों में सरपंच, जिला परिषद, ब्लॉक समिति में सीटें महिलाओं के लिए आरक्षित हैं। कहीं एससी, बीसी श्रेणी की तो कहीं सामान्य श्रेणी की महिलाओं के लिए सीटें आरक्षित हैं। आधी आबादी को पूरा हक देने के उद्देश्य से सरकार के इस कदम की हर ओर सराहना भी हो रही है। ग्राम्य जीवन में सामान्य तौर पर महिलाएं चूल्का-चौका करते-करते ही अपना जीवन बिता देती हैं। यह चुनावी समय ऐसा है, जहां आरक्षित सीटें होने के चलते महिलाएं चुनावों में किस्मत आजमा रही हैं। चुनावी दौर में अब महिलाएं चूल्हा-चौका से बाहर निकलकर चुनावी पोस्टर, बैनर पर छाईं हैं।

खास बात यह है कि भले ही सरकार ने महिलाओं के लिए चुनाव लड़ने के लिए शिक्षा का पैमाना 8वीं पास रखा हो, लेकिन चुनाव में उच्च शिक्षा प्राप्त महिलाओं की भागीदारी यह सुनिश्चित कर रही है कि वे भी शिक्षा को नौकरी लेने या छोटा-मोटा रोजगार हासिल करने का माध्यम नहीं मानतीं। वे अपनी शिक्षा को देश, समाज, गांव, कस्बे का विकास करने में लगाना चाहती हैं। सरपंच पद उम्मीदवार सुनीता ने राजनीतिक विज्ञान में एमए की है। इसके अलावा भी कई कोर्स वे कर चुकी हैं। मायके में परिवार ने उन्हें पढ़ाई के साथ अच्छे संस्कार दिए। अब वे गांव के विकास, मूलभूत सुविधाएं, महिलाओं को हर स्तर पर सुविधाएं दिलाने के नाम पर चुनाव मैदान में हैं। उनका मानना है कि महिलाएं आगे आकर देश, समाजसेवा करें तो वे किसी न किसी रूप में प्रेरणा बन सकती हैं। जमीन से आसमान तक महिलाओं का जलवा दुनिया देख चुकी है और देख रही है।

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